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क्या है ‘बीटिंग द रिट्रीट’ सेरेमनी।
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इसे क्यों मनाया जाता है।
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कब हुई इस समारोह की शुरुआत।
Beating Retreat Ceremony: हर साल गणतंत्र दिवस के बाद बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी कार्यक्रम का आयोजन होता है। कार्यक्रम में सेना राष्ट्रपति को नेशनल सैल्यूट देती है। आज हम आपको बताएंगे कि बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी कार्यक्रम क्या होता है, इसे क्यों मनाया जाता, इस सेरेमनी की शुरुआत कब हुई और इसका क्या इतिहास है। बने हमारे साथ और पढ़ते रहिए बंसल न्यूज़….
इसके पहले बता दें, कि इस साल गणतंत्र दिवस के बाद होने वाला बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम बेहद खास होने वाला है। क्योंकि इस कार्यक्रम में स्वदेशी धुन बजाया जाएगा।
बीटिंग रिट्रीट क्या है?
ये सवाल सबके मन में उठता है, कि आखिर क्या है ‘बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी’ (Beating Retreat Ceremony) आज हम आपको इससे अवगत कराते हैं। दरअसल गणतंत्र दिवस के समापन के बाद होने वाले समारोह को बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी कहा जाता है। ‘बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी’ शब्द मुख्य रूप से सेना के लिए इस्तेमाल होता है। साथ ही बीटिंग रिट्रीट सेना को अपने बैरक में लौटने का प्रतीक भी माना जाता है।
ऐसा भी माना जाता है, कि जब शाम के समय सेनाएं युद्ध खत्म करके वापस लौटकर आने के बाद अपने अस्त्र-शस्त्र उतार कर रखती थीं। इस दौरान सेना द्वारा झंडे नीचे उतार दिए जाते थे। इसे ही बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी कहा जाता है।
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बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी धुन
गणतंत्र दिवस के समारोह को मनाने के बाद जब इस सेरेमनी (Beating Retreat Ceremony) को मनाया जाता है, तो एक विशेष धुन को बजाया जाता है। हर देश की सेना की बीटिंग रिट्रीट की एक धुन होती है। हमारे भारत में बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी की धुन का नाम ‘अबाइड विद मी’ है। यह धुन सन् 1950 से बजाई जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक मिली जानकारी इस बार होने वाले बीटिंग रिट्रीट में हर धुन स्वदेशी होगी। जिसमें कुछ धुन ये होंगी… –
ऐ-मेरे वतन के लोगों
कदम कदम बढ़ाए जा
ताकत वतन की हम से है
शंखनाद, भागीरथ
फौलाद का जिगर, जैसी धुनें शामिल हो सकती हैं।
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भारत में कब हुई शुरुआत?
भारत में ‘बीटिंग द रिट्रीट’ सेरेमनी की शुरूआत सन् 1950 की शुरुआत में हुई थी। उस समय इस सेरेमनी के 2 कार्यक्रम हुए थे। जिसमें पहला कार्यक्रम दिल्ली के रीगल मैदान के सामने मैदान में हुआ था और दूसरा कार्यक्रम लालकिले में हुआ था। उस समय इस कार्यक्रम में भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने सामूहिक बैंड के प्रदर्शन ने एक अनोखे तरीके से बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी के स्वदेशी रूप से शुरूआत की।
सबसे बड़ा कार्यक्रम नई दिल्ली में
इस सेरेमनी का सबसे कार्यक्रम नई दिल्ली में होता है। इस समारोह में ध्वजारोहण होने के बाद विशेष रूप परेड की जाती है, जिसमें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सैना शक्ति का जोरदार प्रदर्शन किया जाता है। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति बतौर चीफ गेस्ट शामिल होते हैं। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति और चीफ गेस्ट के आते ही कार्यक्रम का उन्हें नेशनल सैल्यूट दिया जाता है।
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300 साल पुराना है इतिहास
बीटिंग द रिट्रीट का इतिहास 300 साल पुराना है। इसकी शुरुआत 17वीं शताब्दी में इंग्लैंड से हुई थी। जब इस कार्यक्रम शुरुआत हुई तो इंग्लैंड के किंग जेम्स सेंकड ने सैनिकों को ड्रम बजाने और झंडे डाउन करने के साथ जंग खत्म होने के बाद की घोषणा करने के लिए एक परेड आयोजित करने का आदेश दिया था। तब उस समय इस सेरेमनी को ‘वॉच सेटिंग’ कहा जाता था।