जबलपुर। Bhopal Gas Tragedy: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में भोपाल गैस त्रासदी अवमानना मामले को लेकर सुनवाई हुई। न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति विनय सराफ की बैंच ने सजा के प्रश्न पर फरवरी के दूसरे सप्ताह तक सुनवाई की तारीख बढ़ा दी है।
बता दें कि, भोपाल गैस त्रासदी अवमानना मामले में आरोपित अधिकारियों ने कोर्ट में सजा से मुक्ति के लिए याचिका पेश की थी। जिसपर आज बुधवार को बहज हुई।
अवमानना मामले में 9 अधिकारी दोषी!
बता दें कि, 2-3 दिसंबर 1984 को हुई भोपाल गैस त्रासदी में पीड़ितों का इलाज और पुनर्वास संबंधित कार्य के लिए कोर्ट ने निर्देश दिए थे, इसके बावजूद अधिकारियों ने इस अमल में नहीं लाया था।
इस पूरे मामले कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान समेत नौ अधिकारियों और तत्कालीन प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैस को अवमानना(Bhopal Gas Tragedy) का दोषी माना था।
अवमानना के इस मामले में आरोपियों को सजा क्या दी जानी है, इस को लेकर फैसला आने वाला था। लेकिन जस्टिस शील नागू और जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ में से एक के अनुपस्थित रहने के चलते मंगलवार को सुनवाई टाल दी गई थी।
आधिकारियों को सजा से मुक्ति वाली याचिका आज सुनवाई हुई। जिसके के लिए नई तथ्यों के साथ बहस की गई।
क्या है था मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीडि़त महिला उद्योग संगठन समेत अन्य की याचिका की सुनवाई की थी। गैस पीडि़तों के इलाज और पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश दिए थे। इनका क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे।
इस कमेटी को हर 3 माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के सामने पेश करने को कहा था। साथ ही रिपोर्ट के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाने थे।
मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं पर कोई काम नहीं होने का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दाखिल की थी। सरकारी अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है।
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