Good Governance Day 2023: आज 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती को देश भर में में सुशासन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। आज हम इस लेख में सुशासन दिवस के इतिहास के बारे में चर्चा करें। साथ ही जानेंगे कि यह खास दिन अटल जी की जयंती पर ही क्यों मनाया जाता है।
सुशासन दिवस का इतिहास
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 23 दिसंबर 2014 को अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की थी।
इस घोषणा के बाद मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी (Good Governance Day 2023) की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था। सुशासन दिवस के अवसर पर पूरे दिन काम करने की घोषणा की गई थी।
सुशासन को ‘विकास के लिये देश के आर्थिक एवं सामाजिक संसाधनों के प्रबंधन में शक्ति का प्रयोग करने के तरीके’ के रूप में परिभाषित किया गया है। सुशासन की अवधारणा चाणक्य के युग में भी मौज़ूद थी। उन्होंने अर्थशास्त्र में इसकी विस्तार से चर्चा की है।
क्यों मनाया जाता है सुशासन दिवस?
सुशासन दिवस लोगों के कल्याण और बेहतरी को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इसका उद्देश्य देश के छात्रों और नागरिकों को सरकार के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के बारे में बताना है। साथ ही भारत में सुशासन के मिशन को पूरा करने के लिए अच्छी और प्रभावी नीतियों को लागू करना है। इस खास अवसर पर क्विज, लाइव कार्यक्रम, ओरिएंटेशन, सेमिनार और अन्य गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं।
सुशासन के मार्ग में आने वाली बाधाएँ
प्रशासनिक प्रणाली का केंद्रीकरण- निचले स्तर की सरकारें केवल तभी कुशलता से कार्य कर सकती हैं, जब वे ऐसा करने के लिये सशक्त हों। यह विशेष रूप से पंचायती राज संस्थानों के लिये प्रासंगिक है। जो वर्तमान में निधियों की अपर्याप्तता के साथ-साथ संवैधानिक रूप से सौंपे गए कार्यों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना कर रही हैं।
महिला सशक्तीकरण- सरकारी संस्थानों और अन्य संबद्ध क्षेत्रों में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
भ्रष्टाचार- भारत में उच्च स्तर के भ्रष्टाचार को शासन की गुणवत्ता के सुधार के मार्ग में एक बड़ी बाधा के रूप में माना जाता है। इसे रोकने के लिए सरकार को कोई नए कदम उठाने होंगे।
न्याय में देरी- एक नागरिक को समय पर न्याय पाने का अधिकार है, लेकिन कई कारण है कि एक सामान्य व्यक्ति को समय पर न्याय नहीं मिलता है। इस तरह के एक कारण के रूप में न्यायालयों में कर्मियों और संबंधित सामग्री की कमी है।
राजनीति का अपराधीकरण- राजनीतिक प्रक्रिया का अपराधीकरण और राजनेताओं, सिविल सेवकों तथा व्यावसायिक घरानों के बीच साँठगाँठ सार्वजनिक नीति निर्माण और शासन पर बुरा प्रभाव डाल रहा है।
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