Diwali Intresting Facts: भारत अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए पूरे विश्व में लोकप्रिय है। लेकिन अगर हम बात करें भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार की तो सभी के दिमाग में दिवाली का ख्याल सबसे पहले आता है। वैसे तो हम सभी हर साल बड़ी धूम-धाम से दिवाली का पर्व मानते हैं।
साथ ही अपने घर में सुख-समृद्धि के लिए लक्ष्मी पूजन करते हैं। दिवाली में लक्ष्मी पूजन का बहुत महत्व होता है। सभी लोग दिवाली में होने वाली लक्ष्मी पूजन के लिए तरह-तरह की तैयारियां करते हैं। साथ ही विभिन्न प्रकार की सामग्रियों का उपयोग किया जाता है।
लेकिन ख़ास तौर पर लक्ष्मी पूजन में गन्ने का उपयोग किया जाता है। आपको बता दें कि लक्ष्मी पूजन में गन्ने को माता लक्ष्मी के भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। लेकिन माता लक्ष्मी को भोग में गन्ना चढ़ाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। जिसके बारे में आज हम जानेंगे।
भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को दिया था दंड
भारत में माता लक्ष्मी की पूजन सामग्री में विशेष रूप से उपयोग होने वाले गन्ना खाने पर दंड दिया था। आपको बता दें कि पुराणों में माता लक्ष्मी को चढ़ने वाले गन्ने की कथा का वर्णन किया गया है। यह माना जाता है कि प्राचीन युग में भगवान विष्णु और उनकी अर्धांग्नी माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आये थे।
पृथ्वी भ्रमण करते-करते भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से कहा की “उन्हें कुछ याद आ गया है। वे पृथ्वी के दक्षिण दिशा में जा रहें हैं। तब तक आप यहीं मेरी प्रतीक्षा करना। इतना कहने के बाद भगवान विष्णु दक्षिण दिशा की ओर चले गए। और माता लक्ष्मी वहीं भगवान विष्णु की प्रतीक्षा करने लगी।
माता लक्ष्मी प्रतीक्षा करते-करते एक गन्ने के खेत में पहुँच गयी। जिसके बाद माता लक्ष्मी का गन्ना खाने का मन हो गया। फिर क्या था माता लक्ष्मी खेत के अंदर जाकर गन्ना खाने लगीं। जब माता लक्ष्मी ने गन्ना खाना शुरू किया इतना में ही भगवान विष्णु खेत में आ गए।
माता लक्ष्मी को गन्ना खाते हुए देखते हुए भगवान विष्णु ने क्रोधित होकर माता लक्ष्मी को दंड दे दिया। भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी से कहा कि आपने खेत के मालिक की अनुमति बिना गन्ना कैसे खा लिया।
बारह वर्ष रहना पड़ा किसान के घर
अब आपको दंड के रूप में इस खेत के किसान के घर में बारह वर्ष रहना पड़ेगा। माता लक्ष्मी दंड के अनुसार किसान के घर में बारह वर्षों के लिए रहीं। माता लक्ष्मी के कारण उस किसान के घर में सुख और समृद्धि आ गयी।
लेकिन जब भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को वापस ले जाने आये तो किसान इस बात से निराश हो गया। जान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी ने असली अवतार में आकर किसान को वरदान दिया कि माता लक्ष्मी अदृश्य रूप में किसान के घर में रहेंगी।
उन्होंने किसान को उनका प्रिये भोग उनकी पूजन में चढ़ाने की बात कही। तब से ही लक्ष्मी माता के पूजन में विशेष रूप से गन्ने का प्रयोग होने लगा।
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