आज का मुद्दा: छत्तीसगढ़ कांग्रेस को दिल्ली हाईकमान से एकजुटता का मैसेज मिला है जो उसे कर्नाटक और हिमाचल में जीत दिला चुका है। इसी फॉर्मूले के साथ अब कांग्रेस अपने मजबूत किले यानी छत्तीसगढ़ को फतह करने जा रही है, लेकिन बीजेपी को इसमें कुछ और ही नजर आ रहा है। क्या है ये पूरी सियासत और इसके क्या मायने निकाले जा रहे हैं। आज हम इसी को समझेंगे।
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कांग्रेस हाईकमान और प्रदेश कांग्रेस की बैठक के बाद मैसेज क्लियर है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस को एकजुटता के साथ चुनाव लड़ना है। सबको मिलकर काम करना है और 2018 की तरह ही जीत हासिल करना है। इसी जोश के साथ छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल भी नजर आए और उन्होंने ट्वीट करके, अबकी बार 75 पार का नारा दोहराया तो कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नारा देकर कुमारी शैलजा ने मजबूती से सरकार बनाने का दावा किया।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस की दिल्ली दौड़ हुई तो बीजेपी को भी बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया। पूर्व सीएम रमन सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि दिल्ली बैठक को सिर फुटव्वल की स्थिति करार दे दिया।
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बीजेपी कुछ भी कहे, लेकिन टूट की वजह से कांग्रेस, छत्तीसगढ़ जैसे मजबूत किले को गंवाना नहीं चाहेगी। एकजुटता के मंत्र से कांग्रेस हिमाचल और कर्नाटक जैसी दो बड़ी जीत दर्ज कर चुकी है और हर चुनावी राज्य में कांग्रेस इसी रणनीति को आजमाते नजर आ रही है। अब देखना होगा कि बीजेपी इस एकजुटता का क्या काट निकाल पाती है।
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