Aaj Ka Mudda: हमारा आज का मुद्दा है टिकट का टेंशन। बिलासपुर के संभागीय सम्मेलन में कांग्रेस लीडरशीप चुनावी तैयारी के इरादे से पहुंची तो दावेदार और कार्यकर्ता टिकट की उम्मीद लेकर अब इन इरादों और उम्मीदों ने पार्टी की तो चिंता बढ़ाई ही। इसके साथ ही मौजूदा विधायकों की भी धड़कनें तेज कर दी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हम साथ-साथ हैं का पाठ पढ़ाना चाहती है तो बीजेपी इस मौके पर चौका लगाने की कोशिश कर रही है। आज हम इसी पर चर्चा करेंगे और इस पूरी सियासत को समझने की कोशिश करेंगे।
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बिलासपुर में कांग्रेस का कार्यकर्ता सम्मेलन, अब सियासत का नया अखाड़ा बन चुका है। टॉप लीडरशिप इस सम्मेलन के जरिए कार्यकर्ताओं में एकजुटता और चुनावी रणनीति को जमीन पर लाना चाहती है, लेकिन दावेदारों की लंबी फेहरिस्त और भितरघात की चिंता पार्टी लीडर्स के लिए नया सरदर्द बनकर उभरी है। वहीं, सीटिंग एमएलए को भी टिकट कटने का डर सता रहा है। सीएम भूपेश बघेल और कुमारी शैलजा, दावेदारों और कार्यकर्ताओं को सख्त लहजे में हिदायत दे चुके हैं। हालांकि, विधायकों को सीएम भूपेश ने अलग से सलाह दी है।
यकीनन कांग्रेस को भितरघात का डर सता रहा है। इसलिए कांग्रेस एकता का पाठ पढ़ाती नजर आ रही है तो इधर बीजेपी इसको लेकर तंज कस रही है। पूर्व सीएम रमन सिंह ने कहा कि कांग्रेस में दावेदारों की भीड़ है। इसलिए उन्हें बगावत का डर सता रहा है। इधर कुमारी शैलजा ने तुरंत पलटवार करते हुए ये दावा कर दिया है कि रमन सिंह की सीट भी कांग्रेस ही जीतने वाली है।
जाहिर है कि परफॉर्मेंस के साथ-साथ नेताओं की सेहत भी टिकट को लेकर जरुरी पैमाना बन सकता है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी युवाओं को आगे लाने का जिक्र कर चुके हैं। हालांकि, कांग्रेस के सामने मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे सबक भी है जिसे ध्यान में रखकर ही उन्हें आगे की रणनीति तैयार करनी होगी।
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