Aaj Ka Mudda: छत्तीसगढ़ में 1 जून से राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आगाज होने जा रहा है, लेकिन इस पर सियासत का आगाज एक दिन पहले ही हो चुका है। रामायण महोत्सव को लेकर प्रदेश राममय है, लेकिन सियासत में राक्षस की एंट्री हो चुकी है। आज चर्चा इसी पर करेंगे।
छत्तीसगढ़ में होने जा रहा राष्ट्रीय रामायण महोत्सव
भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है। प्रभु की भक्ति में हर कोई लीन है। देश ही नहीं विदेश से भी लोग अरण्य कांड पर आधारित प्रस्तुति देने पहुंच रहे हैं, लेकिन सियासी फिजाओं में राक्षसी प्रवृत्ति छाई हुई है। होड़ मची है एक दूसरे को राक्षसी प्रवृत्ति का ठहराने की। शुरुआत की भाजपा के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने। फिर कांग्रेसी भी कहां पीछे रहने वाले थी। कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने अजय चंद्राकर ही नहीं भाजपा और आरएसएस को भी राक्षसी प्रवृत्ति का ठहरा डाला साथ ही अरण्य कांड का महत्व बताने से भी नहीं चूके।
राम त्याग,तप, नैतिकता और मर्यादा के प्रतीक हैं, लेकिन ये सियासत है। यहां न नैतिकता है न मर्यादा, इसीलिए एक ओर जहां हर कोई प्रभु की भक्ति में लीन है। वहीं, सियासी लोग राक्षसी प्रवृत्ति की मीमांसा में जुटे हैं। मानस में कहा भी गया है जाकि रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखि तिन तैसी बहरहाल। यही उम्मीद की जा सकती है कि सियासी लोग भी राक्षसी प्रवृत्ति की मीमांसा छोड़ रामराज्य की अवधारणा को धरातल पर उतारने का प्रयास करें। भी महोत्सव का आयोजन भी सार्थक होगा।
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