Aaj Ka Mudda: कर्नाटक चुनाव का वोकल फॉर लोकल फॉर्मूला। अब मध्यप्रदेश में भी नजर आने वाला है। एक तरफ कांग्रेस उन्हीं मुद्दों को भुनाएगी तो बीजेपी उस फॉर्मूले को आजमाएगी जिससे देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस, चुनावों में जूझती नजर आती है।
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कर्नाटक चुनाव के नतीजों का असर एमपी में लगातार देखने को मिल रहा है। लोकल चेहरों और लोकल मुद्दों के साथ कांग्रेस ने कर्नाटक का दुर्ग जीता तो बीजेपी ने भी इस हार को नई चुनौती के रूप में लिया और नई रणनीति के साथ अब बीजेपी। एमपी के किले पर एक बार फिर परचम लहराने के जुगत में जुट गई है। एमपी में भी बीजेपी, लोकल चेहरों और लोकल मुद्दों के साथ सियासी मैदान में उतरेगी। हर क्षेत्र में बीजेपी अपने कद्दावर चेहरों को सामने रखेगी यानी कभी जिन क्षत्रपों के कारण कांग्रेस बदनाम थी। अब बीजेपी उसी क्षत्रप व्यवस्था पर भरोसा जता रही है।
कर्नाटक चुनाव में बीजेपी के पास लोकल चेहरे की चुनौती थी। यही हाल और सवाल बीजेपी के पास छत्तीसगढ़ में भी है लेकिन मध्यप्रदेश में बीजेपी के पास मजबूत चेहरा है जो प्रदेश ही नहीं, देश में भी जननेता की पहचान रखता है। लेकिन इधर कांग्रेस की भी अपनी अलग तैयारी है कांग्रेस कर्नाटक और हिमाचल की जीत और लोकल मुद्दों को भुनाना चाहेगी। चाहे वो गैस सिलेंडर हो बिजली बिल हो।
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मध्यप्रदेश में कर्नाटक चुनाव का जिक्र बार-बार आ रहा है। एक ही जैसे सियासी समीकरण और हालातों वाले राज्यों में तुलना होना लाजिमी भी है। सियासी दलों की अपनी रणनीति है। तो एमपी की जनता, एक बार फिर तैयार है।