रायपुर। आज का मुद्दा: मुख्यमंत्री जब चुनौतियों की बात करते हैं और सामने विपक्ष के रूप में बीजेपी का चेहरा नजर आता है, तो वह चुनौतियों के तौर पर दो बातें कहते हैं धर्मांतरण और सांप्रदायिकता। लेकिन, शायद तीसरी बात वे भूल जाते हैं वह है नक्सलवाद। वह नक्सलवाद, जिसकी ना तो जात है ना मजहब है ना नेता है और ना ही राजनीतिक पार्टी।
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विधायक विक्रम शाह मंडावी के काफिले पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं
वह बीजेपी को भी मारती है और कांग्रेस को भी। हम आज चर्चा बीजापुर की करेंगे जहां विधायक विक्रम शाह मंडावी के काफिले पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गई है। विक्रम शाह मंडावी कांग्रेस के विधायक हैं और बीजापुर में बेहद सक्रिय भी है। इस नक्सल घटना को हम इसलिए ज्यादा अहमियत दे रहे हैं क्योंकि, हाल के दिनों में नक्सलवादियों की तरफ से जितनी भी गोलियां और हथियार चले वे सारे बीजेपी नेताओं पर चले थे।
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क्या 2023 के चुनाव में नक्सली खौफ
आज जब कांग्रेस नेता पर हमला हुआ तो चर्चाएं सरगम हो गई कि क्या 2023 के चुनाव में नक्सली खौफ एक बार फिर राजनीतिक दलों के लिए बड़ी चुनौती बनने जा रहा है। हम अपनी बातों को आगे बढ़ाएं इससे पहले आइए आपको सुना देते हैं आज की घटनाओं को लेकर क्या कहना है जिम्मेदारों का।
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किसी बड़े खतरे की आहट
क्या खामोश नक्सलियों का आज का हमला किसी बड़े खतरे की आहट है। या फिर यह सियासी माहौल का असर है जो अब चुनावी होने वाला है? हमने बात की तीन बेहद खास मेहमान कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा व भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी मौजूद और वरिष्ठ पत्रकार के तौर पर उचित शर्मा से।
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