जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू से बात निकली है तो दूर तलक जाएगी जी हां JNU का विवादों से पुराण नाता रहा है। लेकिन अक्सर स्टूडेंटन्स की वजह से विवाद होते है। लेकिन इस बार का जी विवाद खड़ा हुआ है वो जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी पंडित के बयान के बाद शुरू हुआ है। दरअसल जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) की वाइस चांसलर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित सोमवार ने कहा है कि हिंदू भगवान ऊंची जाति से नहीं आते हैं। मानवशास्त्रीय रूप से और वैज्ञानिक रूप से हमारे देवताओं की उत्पत्ति को देखें, कोई भगवान ब्राह्मण नहीं है। जिसके बाद विवाद तो मचना ही था। अब उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग हो रही है। आइए जानते हैं…आखिर कौन हैं शांतिश्री –
आखिर क्या है पूरा मामला ?
आपको बताते चलें कि, (JNU) की कुलपति शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित ने बयान देते हुए कहा कि,हिंदू देवता किसी ऊंची जाति से नहीं आते हैं। भगवान शिव भी शूद्र हैं, क्योंकि वे श्मशान में बैठते हैं।, “कोई देवता ब्राह्मण नहीं है। सबसे ऊंचा दर्जा क्षत्रिय का है। शिव जरूर अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के होंगे, क्योंकि वह श्मशान में सांप के साथ बैठते हैं। उनके पास पहनने के लिए बहुत कम कपड़े हैं। मुझे नहीं लगता कि ब्राह्मण कब्रिस्तान में बैठ सकते हैं। तो स्पष्ट रूप से देवता ऊंची जाति से नहीं आते हैं। अगर आप देखें लक्ष्मी, शक्ति और जगन्नाथ सभी देवी-देवता आदिवासी हैं। तो हम अभी भी इस भेदभाव को क्यों जारी रख रहे हैं, जो बहुत ही अमानवीय है।”
बौद्ध धर्म पर दिया बयान
आपको बताते चलें कि, विवादित बयानों की श्रेणी में चांसलर ने और भी बयान दिया है जिसमें कहा कि,बौद्ध धर्म सबसे महान धर्मों में से एक है, क्योंकि यह साबित करता है कि भारतीय सभ्यता असहमति, विविधता और अंतर को स्वीकार करती है।अगर भारतीय समाज कुछ अच्छा करना चाहता है तो जाति को खत्म करना बेहद जरूरी है। मुझे समझ में नहीं आता कि हम उस पहचान के लिए इतने इमोशनल क्यों हैं, जो भेदभावपूर्ण और असमान है। हम इस आर्टिफिशियल आइडेंटिटी की रक्षा के लिए किसी को भी मारने के लिए तैयार हैं।
आखिर कौन हैं शांतिश्री धुलीपुड़ी ?
प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित को जब जेएनयू का कुलपति नियुक्त किया तब से ही चर्चाओं में है। वो जेएनयू की पहली महिला कुलपति हैं। शांतिश्री ने जेएनयू से ही एमफिल और पीएचडी पूरी की है। जेएनयू में कुलपति बनाने से पहले वो सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय में कुलपति थी। शांतिश्री का जन्म 15 जुलाई 1962 को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ था। पिता डॉ. धुलिपुड़ी अंजानेयूलु आईएएस अधिकारी थे। बाद में उन्होंने पत्रकार और लेखक के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई । मां प्रो. मुलामूदी आदिलक्ष्मी तमिल और तेलुगु भाषा की प्रोफेसर रहीं हैं।शांतिश्री ने अपने शैक्षणिक करिअर की शुरुआत 1998 में गोवा विश्वविद्यालय से की थी। हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, तमिल जैसी छह भाषाओं में Efficient Professor है इन भाषाओं के आलावा धुलिपुडी कन्नड़, मलयालम और कोंकणी भी समझ लेती हैं।