LUMPY SKIN DISEASE: राजस्थान में पशुओं के लाइलाज ‘लंपी रोग’ से लगभग तीन महीने में 1200 से अधिक गायों की मौत हो चुकी है और 25,000 मवेशी संक्रमित हुए हैं। वहीं, राज्य सरकार जयपुर से वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित इलाकों में भेजने सहित कई कदम उठा रही है।
राजस्थान में पशुओं के लाइलाज ‘लंपी रोग’ से लगभग तीन महीने में 1200 से अधिक गायों की मौत हो चुकी है और 25,000 मवेशी संक्रमित हुए हैं। वहीं, राज्य सरकार जयपुर से वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित इलाकों में भेजने सहित कई कदम उठा रही है। संक्रामक, लाइलाज चर्म रोग ने राजस्थान में पशुओं पर मानो कहर बरपाया हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि गांठदार चर्म रोग वायरस (एलएसडीवी) या ‘लंपी’ नामक यह संक्रामक रोग, कोई सटीक उपचार नहीं होने के कारण पशुओं में तेजी से फैल रहा है। वहीं, राज्य सरकार एक साथ कई गायों की मौत के बाद ‘एक्शन’ में आ गई है।
केंद्रीय किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने इस रोग से बड़ी संख्या में गायों की मौत की बात स्वीकारते हुए कहा है कि केंद्र सरकार केंद्रीय वैज्ञानिक दल की सिफारिशों के आधार पर उपचार के लिए जरूरी कदम उठाएगी। एक केंद्रीय दल ने हाल में प्रभावित इलाके का दौरा किया था। पशुपालन विभाग के उपनिदेशक (रोग नियंत्रण) डॉ. अरविंद जेटली ने जयपुर में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘शुरुआत में यह रोग राज्य के जैसलमेर और बाड़मेर जैसे सीमावर्ती जिलों में देखने में आया, लेकिन बहुत तेजी से यह जोधपुर, जालोर, नागौर, बीकानेर, हनुमानगढ़ और अन्य जिलों में फैल गया है। हमारी टीम पहले से ही प्रभावित क्षेत्रों में काम कर रही हैं।’’ पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अफ्रीका में पैदा हुई यह बीमारी अप्रैल में पाकिस्तान के रास्ते भारत आई थी। जेटली ने कहा कि यह बीमारी मुख्य रूप से गायों, विशेषकर देसी नस्ल की गायों को प्रभावित कर रही है और अब तक करीब 25,000 गोवंश प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली गायों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी का कोई इलाज या टीका उपलब्ध नहीं है और लक्षणों के अनुसार उपचार किया जाता है। उन्होंने बताया कि इसके प्राथमिक लक्षण त्वचा पर चेचक, तेज बुखार और नाक बहना है। जोधपुर में पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक संजय सिंघवी ने कहा, ‘‘हमने प्रभावित गांवों में पशु चिकित्सकों की अपनी टीम भेजी है। ये चिकित्सक गांवों में डेरा डाले हुए हैं और संक्रमित मवेशियों का इलाज कर रहे हैं।’’
सिंघवी ने कहा, ‘‘पशुपालकों को संक्रमित मवेशियों को अलग-थलग रखने की सलाह दी जा रही है, ताकि संक्रमण नहीं फैले।’’ उन्होंने कहा कि जिले में अब तक पांच से 10 प्रतिशत मवेशी लंपी रोग से ग्रसित हो चुके हैं और अन्य मवेशियों को संक्रमित होने से बचाने के लिए पशुपालकों में जागरूकता फैलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘‘जिले में पिछले दो हफ्तों में 254 मवेशियों की मृत्यु की सूचना मिली। हालांकि, ठीक हुए मवेशियों की संख्या कहीं अधिक है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए 20 जुलाई को जयपुर से (पशुपालन) विभाग की एक टीम ने भी जोधपुर का दौरा किया। टीम ने स्थानीय टीम को बीमारी और इसकी रोकथाम के बारे में जानकारी दी।’’ जालौर में पथमेड़ा गौधाम के सचिव आलोक सिंघल ने कहा कि गांवों की स्थिति बहुत दयनीय है और इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बीमारी बहुत तेजी से फैल रही है। जालौर में हमारी गौशाला की 50 शाखाओं में 100 से ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है।’’
सिंघल ने कहा कि ग्रामीण भी अपने संक्रमित मवेशियों को गंभीर हालत में लेकर गौशाला आ रहे हैं। इस बीच, विधायक नारायण सिंह देवल ने शुक्रवार को पशुपालन मंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि पशुओं में चर्म रोग (एलएसडीवी) फैलने को देखते हुए जालौर जिले में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर की टीम उपलब्ध कराई जाए तथा दवाओं की व्यवस्था की जाए। उन्होंने बताया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में एक पशुपालक की 60 से अधिक गायों की मौत हो चुकी है और अन्य पशुपालकों की गायें भी इस कारण काल कवलित हुई हैं। जैसलमेर-बाड़मेर से सांसद चौधरी ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘‘पश्चिमी राजस्थान में गायों में फैल रहे चर्म रोग के अध्ययन तथा रोकथाम के उपायों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) के भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के दल को भेजा गया था, इनकी सलाह के अनुरूप केंद्र सरकार बीमारी के उपचार के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।’’ मंत्री के अनुसार, इस बीमारी से बड़ी संख्या में गायों की मृत्यु हुई है, जो दुःखद है। उन्होंने कहा, ‘‘इस बीमारी से किसान और पशुपालक वर्ग त्रस्त और हताश है। इसके निदान के लिए मैं हर संभव प्रयास के लिए प्रतिबद्ध हूं।’’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी इस पर गंभीरता दिखाते हुए आवश्यक कार्रवाई करे, जिससे किसानों एवं पशुपालकों को राहत मिल सके। राजस्थान के जोधपुर और बीकानेर संभाग के 10 जिलों में लगभग 1400 गौशालाएं हैं।