भुवनेश्वर। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने ओडिशा सरकार और ओडिशा लोक सेवा आयोग (ओपीएससी) को तीन महीने के लिए विश्वविद्यालयों में संकाय या गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती नहीं करने को कहा है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने इस अवधि के लिए ओडिशा विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम 2020 पर स्थगन आदेश जारी किया है।
अधिनियम विधानसभा में पारित किया गया था, लेकिन विपक्ष ने आरोप लगाया कि कानून विश्वविद्यालयों की वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता को कम कर देगा और संस्थान सीधे राज्य सरकार के नियंत्रण में आ जाएंगे। यूजीसी ने अधिनियम को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय के समक्ष विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की और शीर्ष अदालत ने इसके कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक लगा दी।
25 मई को ओडिशा लोक सेवा आयोग और राज्य उच्च शिक्षा विभाग को अलग-अलग पत्र लिखकर, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव रजनीश जैन ने स्थगन आदेश का उल्लंघन करते हुए समाजशास्त्र और वाणिज्य विभाग के लिए सहायक अध्यापकों की भर्ती का विरोध किया। यूजीसी ने बताया कि शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए स्थगन आदेश के बावजूद, ओपीएससी ने समाजशास्त्र और वाणिज्य विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाया।
इसमें कहा गया है कि यूजीसी इस संबंध में उचित कानूनी उपाय करने के अपने सभी अधिकार भी सुरक्षित रखेगा। हालांकि, ओपीएससी के सचिव अशोक दास ने कहा कि आयोग को यूजीसी से अभी तक पत्र नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि आयोग ने भर्ती प्रक्रिया जारी रखी है। उन्होंने कहा ‘‘ओपीएससी इस संबंध में पत्र मिलने के बाद फैसला करेगी।’’