World Pre Eclampsia Awareness Day : वैसे तो गर्भावस्था के दौरान सूजन एक सामान्य समस्या है, लेकिन अगर ये सूजन हाथ पैरों के साथ साथ चेहरे तक पहुंच जाए तो लापरवाही न करें क्योंकि ये प्री-एक्लेम्पसिया का संकेत हो सकती है। प्री-एक्लेम्पसिया आमतौर पर गर्भावस्था के दूसरे चरण पार कर लेने के बाद या शिशु के जन्म के कुछ ही समय बाद होता है। इसके ज्यादातर मामले गर्भावस्था के पांच महीने बाद आते हैं। प्री-एक्लेम्पसिया, हाई ब्लड प्रेशर का एक गंभीर रूप है। विश्व भर में 8 से 10 प्रतिशत प्रतिशत गर्भवती महिलाएं उच्च रक्तचाप का शिकार होती हैं, इनमें से लगभग तीन से पांच प्रतिशत मामले प्री-एक्लेम्पसिया के होते हैं। प्री-एक्लेम्पसिया न केवल महिला के लिए बल्कि शिशु के लिए भी बेहद खतरनाक हो सकता है। जानिए बंसल अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ (Gynaecologist) एवं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी मामलों की जानकार डॉ दीप्ति गुप्ता (Dr Deepti Gupta) ने इसके बारे में क्या बताया।
कैसे पहचानें
बहुत तेज सिरदर्द, अचानक चेहरे हाथों या पैरों में बहुत ज्यादा सूजन, धुंधला दिखना या आंखों के आगे कुछ अजीब सी चमक दिखना, पसलियों (ribs) के नीचे तेज दर्द, मितली या उल्टी हो जाना, बहुत ज्यादा एसिडिटी व सीने में जलन (heart burn), पेशाब में सफेद कण आना।
रिस्क फैक्टर
मोटापा,
गर्भावस्था से पहले ब्लड प्रेशर की समस्या,
माइग्रेन,
यूरिन इन्फेक्शन,
डायबिटीज
रुमेटॉयड इलनेस
किडनी की समस्या
मल्टीपल स्क्लेरोसिस
जेस्टेशनल डायबिटीज़
कैसे बचें
अपनी गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क में रहें। वो समय समय पर यूरिन, ब्लड और बीपी की जांच करवाती हैं. साथ ही अगर अल्ट्रासोनोग्राफी और ब्लड प्रोफाइल की सलाह दी जाती है तो उसे अवश्य करवाएं पौष्टिक आहार लें, हल्के व्यायाम अवश्य करें ,वजन को नियंत्रित रखें। साथ ही निर्देशित दवाओं को नियमित लें। प्री-एक्लेम्पसिया से गैर प्राकृतिक प्रसव (सिजेरियन डिलीवरी और पूर्व प्रसव) का खतरा बढ़ जाता है। इसे कम करने के लिए महिला को कुछ दवाएं दी जाती हैं। कैल्शियम की कमी भी एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसलिए अगर गर्भवती महिला के शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम है, तो प्री-एक्लेम्पसिया से बचाव हेतु कैल्शियम सप्लीमेंट की सलाह दी जाती है।
नोट: हर महिला के लिए अलग अलग सलाहें उपयुक्त हो सकती हैं इसलिए अपनी स्त्री रोग विशेषज्ञ से अवश्य मिलते रहें