भोपाल। 2 अप्रैल से इस वर्ष यानि 2022 की चैत्र नवरात्रि Chaitra Navratri 2022 Durga Saptashati Path ke Niyam की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती (Durga Saptashati) का पाठ करने का भी विधान है। कई लोग इसे करते भी हैं। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इसे बहुत ताकतवर और शुभ फल देने वाला माना जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार मान्यता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से किसी भी तरह के अनिष्ट का नाश होकर परिवार में सुख-समृद्धि आती है। पर क्या आपको पता है अगर इस व्रत को ठीक तरह से न किया जाए तो इसके आपको भारी परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। आप भी जान लें दुर्गा सप्तशती पाठ करने के सही नियम क्या हैं।
Chaitra Navratri Kalash Sthapna Niyam 2022 : नवरात्रि में कलश स्थापना में भूलकर भी न करें ये गलती
राक्षस के वध के समय अधूरा न छोड़े पाठ
इस पाठ को करते समय इसे कभी भी अधूरा नहीं छोड़ा जाता है। पंडित राम गोविन्द शास्त्री के अनुसार आप जब भी पाठ करें उसका क्रम सही होना चाहिए। पाठ में माता जब किसी राक्षस का वध करती हैं उस समय उसे बीच में अधूरा न छोड़े। बल्कि उसकी समाप्ति के बाद ही पाठ का विराम दें। ऐसा न करने पर आपको पाठ के शुभ फल न मिलकर प्रतिकूल प्रभाव झेलना पड़ सकते हैं।
यह भी पढ़ें : Chaitra Navratri 2022 : श्रृंगार के भी हैं वैज्ञानिक आधार, इसलिए होता है मां का 16 श्रृंगार
Chaitra Navratri 2022 : श्रृंगार के भी हैं वैज्ञानिक आधार, इसलिए होता है मां का 16 श्रृंगार
विधिवत हो पाठ की शुरुआत –
पाठ प्रारंभ करने के पहले शिखा जरूर बांध लें। इसके बाद पूर्व दिशा में बैठ कर चार बार आचमन करके मां की रोली, कुमकुम, लाल फूल, अक्षत और जल आदि अर्पित करके पूजा का संकल्प लें। इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करके पंचोपचार विधि से पुस्तक की पूजा करके पाठ की शुरुआत करें। इसमें सर्वप्रथम अर्गला स्तोत्र, कीलक और कवच के पाठ करें। फिर पाठ की शुरुआत करें।
यह भी पढ़ें : Chaitra Navratri 2022 : उतरती पंचकों से होगी नववर्ष की शुरुआत, शनि होंगे राजा, मंत्री बनकर गुरु देंगे ज्ञान
इन बातों को रखें ध्यान –
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय शुरुआत में अर्गला स्तोत्र और कवच का पाठन उच्च स्वर में करें। जबकि समापन मंद स्वर में होना चाहिए। तो वहीं कीलक का पाठन हमेशा गुप्त रूप से किया जाना चाहिए। पाठ समाप्त होने पर एक कन्या का पूजन जरूर करें। इसके साथ ही जरूरतमंद को भी दक्षिणा भी दी जा सकती है। मां दुर्गा सप्तशती पूजन में श़ुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। पाठ और पूजन में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा याचना जरूर करें।
नोट : इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।