Petlawad explosion: झाबुआ जिले के अंतर्गत एक कस्बा पड़ता है, ‘पेटलावद’ (Petlawad)। 12 सितंबर 2015 को ये जगह मीडिया की सुर्खियों में था। क्योंकि यहां एक भयानक विस्फोट हुआ था। हादसे में करीब 80 लोग मारे गए थे। पेटलावद में उस दिन का मंजर ऐसा था कि आज भी लोग उस हादसे को याद कर सिहर उठते हैं।
लोग अपने-अपने काम को जा रहे थे
कस्बे के नया बस स्टैंड इलाके में रोज की तरह लोग अपने-अपने काम को जा रहे थे। सुबह सवा आठ बजे तक यहां जिंदगी सामान्य गति से दौड़ रही थी। तभी राजेन्द्र कासवां नामक एक व्यक्ति के बंद पड़े दुकान में पहला विस्फोट होता है। इस दुकान में कृषि संबंधित सामान और विस्फोटक बेचे जाते थे। पहला विस्फोट उतना प्रभावी नहीं था। इस कारण से जानमाल का ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। स्थानीय लोगों ने दुकान मालिक को सूचित किया।
लोग इक्कठे हो गए थे
विस्फोट की बात सुन राजेन्द्र कासवां भी दौड़ा-दौड़ा दुकान के पास पहुंचता है। लेकिन वह दरवाजा खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। तब तक सैंकड़ो लोग भी वहां इक्कठे हो गए थे। तभी राजेन्द्र कासवां अपने एक कर्मचारी से दुकान खोलने के लिए कहता है। कर्मचारी जैसे ही दरवाजा खोलता है वहां एक जोरदार धमाका होता है और हर तरफ पलक झपकते ही लाशों का ढेर और धूल का गुबार नजर आने लगता है। लोग अपनों को बचाने के लिए चीखने-चिल्लाने लगते हैं।
अवैध रूप से जिलेटिन रॉड और आईडी रखे हुए था
बता दें कि राजेंद्र कासवां अपने इस खाद-बीज की दुकान में अवैध रूप से जिलेटिन रॉड और आईडी का व्यापार करता था जिसे उसने दुकान के गोदाम में छुपाकर रखा था। आधिकारिक तौर पर उस धमाके में 79 लोगों की मौत हुई थी। जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल बताए गए थे। इस ब्लास्ट के आरोपी राजेन्द्र कासवां के जिंदा होने या मारे जाने को लेकर करीब 3 महीने तक सस्पेंस बना रहा था।
बस स्टैंड का नाम अब…
तब उसकी तलाश में जगह-जगह पोस्टर लगाए गए थे। लेकिन दिसंबर 2015 में तमाम अटकलों पर विराम लग गया, डीएनए रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि राजेन्द्र कासवां भी इसी ब्लास्ट में मारा गया था। हालांकि, कांग्रेस नेता कांतिलाल भूरिया आज भी आरोप लगाते हैं कि राजेन्द्र कासवां जिंदा है और उसे बचाया गया है। वहीं पेटलावद में उस हादसे की याद में नया बस स्टैंड का नाम अब श्रद्धांजलि चौक कर दिया गया है। हादसे में मारे गए लोगों की तस्वीरें और नाम यहां लिखे गए हैं। 12 सितंबर के दिन मृतकों के परिवार, मित्र, रिश्तेदार और स्थानीय लोग अपनो को यहां आकर याद करते हैं और उन्हें श्रद्धाजलि देते हैं।