नई दिल्ली। एप्पल कंपनी के संस्थापक को कौन नहीं जानता। स्टीवन पॉल जॉब्स (Steven Paul Jobs) आज भले ही इस दुनिया में नहीं है। लेकिन जो लोग एप्पल के प्रोडक्ट में इंटरेस्ट रखते हैं उन्हें स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) के बारे में जरूर पता होता है। आज करोड़ो लोग एप्पल के आईफोन का इस्तेमाल करते हैं। दुनियाभर में एप्पल के प्रोडक्ट को प्रतिष्ठा का विषय माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इतने प्रतिष्ठित ब्रैंड के मालिक स्टीव जॉब्स हमेशा बिना नंबर वाली कार का इस्तेमाल करता थे और इसके बावजूद उन्हें कभी भी ट्रैफिक चालान नहीं देना होता था।
ऐसे में आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि जब अमेरिका में स्टीव जॉब्स से ज्यादा अमीर कारोबारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हुई हैं, तो फिर स्टीव जॉब्स का ट्रैफिक चालान क्यों नहीं बनता था। क्या उन्हें कोई कानूनी छूट प्राप्त थी? आइए जानते हैं।
कभी भी कार पर नंबर नहीं लिखाया
बता दें कि स्टीव जॉब्स कैलिफोर्निया में रहते थे और उन्होंने कभी भी अपने जीवन में अपनी कार पर नंबर नहीं लिखवाया। वह हमेशा बिना नंबर वाली कार से चला करते थे। लेकिन कभी भी कार के नंबर को लेकर उनके उपर ट्रैफिक चालान नहीं बना। इसके पीछे बहुत छोटा सा कारण था। दरअसल स्टीव कैलिफोर्निया के व्हीकल लॉ का फायदा उठाया करते थे।
कार्रवाई से ऐसे बचते थे
कैलिफोर्निया लॉ के अनुसार अगर आप कोई नई कार खरीदते हैं तो आपको उसका रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 6 महीने का समय दिया जाता है। इस अवधि में आपको अपनी कार का रजिस्ट्रेशन कर कार कार पर नंबर को अंकित कराना होता है। लेकिन स्टीव जॉब्स कार पर नंबर लगाने से बचने के लिए प्रत्येक 6 महीने में एक नई कार खरीद लेते थे। ऐसे में वो गाड़ी पर नंबर चढ़ाने से बच जाते थे और कानूनी कार्रवाई से भी।
उन्हें काफी लग्जरी लाइफ पसंद थी
स्टीव जॉब्स को लग्जरी लाइफ पसंद थी। उन्होंने ऐसा करके एक रिकॉर्ड भी अपने नाम किया था। स्टीव ने अपने जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे हैं। उनका बचपन एक अजीब उलझनों में बिता। पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे ऐसे में उन्होंने कॉलेज भी ड्रॉप कर दिया था। हालांकि वो इस मामले में लकी रहे कि उन्होंने जो करना चाहा उसमें सफलता ही हाथ लगी। 17 साल की उम्र में कॉलेज ड्रॉप करने के बाद महज 20 वर्ष की उम्र में उन्होंने WOZ के साथ मिलकर एप्पल की शुरूआत की और 10 साल में उन्होंने एप्पल को एक ब्रांड बना दिया। इतने कामयाब होने के बाद भी आखिरकार 5 अक्टूबर 2011 को उनकी मौत कैंसर की वजह से हो गई।