नई दिल्ली। भारत को ऐसे ही नहीं विविधताओं का देश कहा जाता है। यहां कई धर्मों के लोग रहते हैं तो कई मान्यताएं ऐसी है जिसे लोग अजब-गजब मानते हैं। इसके साथ ही कुछ ऐसे नियम और कानून हैं जो इस देश को बाकी देशों से काफी अलग बनाते हैं। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। ऐसे में यहां एक वोट की कीमत भी काफी अहम मानी जाती है। देश में एक ऐसा पोलिंग बूथ था जहां वर्षों तक सिर्फ एक शख्स वोट डालने पहुंचता था। जी हां सही सुन रहे हैं। सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन ये सच है।
मतदान के समय चुनाव आयोग को इस पोलिंग बूथ पर पूरी तैयारी करनी होती थी। जंगलों के बीच बने इस पोलिंग बूथ में सिर्फ एक व्यक्ति अपना मतदान करता था। आइए जानते हैं इस खास पोलिंग बूथ के बारे में।
गुजरात के गिर जंगल में इस बूथ को बनाया जाता है
लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, गुजरात के गिर जंगल में चुनाव आयोग को इस विशेष पोलिंग बूथ को बनाना पड़ता था। यहां एक मंदिर है, जिसके पुजारी वहां वोट डालने पहुंचते थे। बतादें कि उन्होंने साल 2004, 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में अपना मताधिकार का प्रयोग किया था। इसके अलावा उन्होंने साल 2007,2012 और 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी अपना मतदान किया था।
#LokSabhaElections2019: Mahant Bharatdas Darshandas casts his vote, a temple priest is the only voter in GIR, Gujarat #MakeYourMark #IndiaElections2019 pic.twitter.com/CJNJzdtrNS
— DD News (@DDNewslive) April 23, 2019
जंगल में किसी को रहने की इजाजत नहीं है
चुनाव आयोग की टीम हर चुनाव में जंगल के अंदर लगभग 55 किलोमीटर की दूरी तय कर बाणेज गांव पहुंचती थी। बाणेज एक ऐतिहासिक तीर्थ स्थल है और यह घने जंगलों के बीच स्थित है। बाणेज में वैसे तो किसी को रहने की इजाजत नहीं है। क्योंकि यहां एशियाई शेरों का बसेरा है और यह गिर सेंचुरी के अंदर है। लेकिन यहां बनेश्वर मंदिर के पुजारी महंत भारतदास गुरू दर्शन दास पिछले कई वर्षों से यहां रह रहे थे और बाणेज गांव में वह एकमात्र वोटर थे।
रात में वहीं रूकते हैं कर्मचारी
उनके लिए पोलिंग बूथ पर पूरे कर्मचारी आते थे। इनमें मतदान अधिकारी, दो चुनाव एजेंट, एक चपरासी, दो पुलिसकर्मी और एक सीआरपीएफ के जवान शामिल हैं। चुनाव के एक दिन पहले वन विभाग के कमरे में मतदान अधिकारी रूकते थे जो मंदिर से 100 मीटर की दूरी पर है। इसी कमरे में ही अगले दिन पोलिंग बूथ बना दिया जाता था। बतादें कि चुनाव आयोग के नियम के अनुसार 3 किमी से अधिक दूरी पर मतदान केंद्र नहीं बनाया जा सकता।
हालांकि साल 2019 में 69 साल की उम्र में महंत का निधन हो गया। भरतदास कई वर्षों से डाइबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर समेत कई बीमारी से ग्रस्त थे। भरतदास ने अकेले इस मंदिर में 22 साल गुजारे थे।