नई दिल्ली। आज के दिन को हिंदू मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन आसमान से अमृत की बारिश होती है और मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। इसके अलावा इस दिन का वैज्ञानिक महत्व ये है कि इस दिन से सर्दियों की शुरूआत होती है। पूर्णिमा की रात चंद्रमा की दूधिया रोशनी से धरती नहलाती है और इसी दूधिया रोशनी में इस पर्व को मनाया जाता है।
खीर को खुले आसमान में क्यों रखते हैं?
बतादें कि शरद पूर्णमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान में रखने की मान्यता है। लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है? अधिकांश लोग सोचते हैं कि इस दिन आकाश से अमृत की वर्षा होती है। इसलिए इसे खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। सुबह में जब लोग इसे खाते हैं तो खीर का उन्हें अलग ही अनुभव मिलता है। हालांकि, इसके पीछे का वैज्ञानिक तर्क कुछ और है।
वैज्ञानिक कारण?
माना जाता है कि दूध में भरपूर मात्रा में लैक्टिक एसिड होता है। जैसे ही इसे चांद की चमकदार रोशनी में रखा जाता है। इसमें मौजूद वैक्टिरिया को बढ़ाने में सहायक होती है। वहीं खीर में पड़े चावल इस काम को और आसान बना देते हैं। ये वैक्टिरिया शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा खीर को ज्यादातर लोग चांदी के बर्तन में रखते हैं। चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है।
धार्मिक मान्यता
वहीं धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो हिंदू धर्म में इस दिन का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। जो लोग इस दिन रात में मां लक्ष्मी का आह्वान करते हैं उनपर मां की विशेष कृपा रहती है। साथ ही लोगों की मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की चांदनी में अमृत की बरसात होती है। इन्हीं मान्यताओं के आधार पर ऐसी परंपरा बनाई गई कि शरद पूर्णमा की रात खीर खुले आसमान में रखने पर उसमें अमृत समा जाता है।