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नई दिल्ली। बस चंद घंटों में अमेरिका को नया राष्ट्रपति मिलने वाला है। जो बाइडेन 20 जनवरी को अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेगें। उनके साथ उपराष्ट्रपति के रूप में भारतीय मूल की कमला हैरिस भी शपथ लेंगी। लेकिन क्या आपको पता है कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने के बाद कोई भी राष्ट्रपति 20 जनवरी को ही शपथ लेता है। अगर नहीं पता तो चलिए आज हम आपको इसी के बारे में बताते हैं कि ऐसा क्यों होता है?
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को मिलता है ढाई महीने का समय
दरअसल, अमेरिका में 20 जनवरी को शपथ लेने की परंपरा है, जो 93 सालों से चली आ रही है। अमेरिकी संविधान में इसके लिए नियम बनाए गए हैं। क्योंकि वहां राष्ट्रपति का चुनाव नवम्बर के पहले मंगलवार तक हो जाता है। ऐसे में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को शपथ लेने से पहले ढाई महीने का समय मिलता है। इसी समय में वे अपनी टीम को तैयार करते हैं। जिसमें कैबिनेट से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक की नियुक्ती शामिल है। सबसे पहले इस तारीख को 1937 में फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में थपथ ली थी।
इस कारण से 20 जनवरी को होता है शपथ ग्रहण समारोह
मालूम हो कि फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट के शपथ से पहले यह समारोह 4 मार्च को हुआ करता था। यानि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को शपथ लेने के लिए 4 महिने का समय मिलता था। जिसमें वो अपनी आगे की तैयारियों को पूरा करते थे। लेकिन वे इस दौरान कोई फैसला नहीं ले सकते थे। इससे होता ये था कि निवर्तमान राष्ट्रपति अपने जरूरतों के हिसाब से फैसले ले लेता था। इन्हीं सब चीजों को देखते हुए अमेरिका में चुनाव और शपथ ग्रहण के बीच के अंतर को कम करने पर विचार किया गया और साल 1933 में संविधान के 20 संशोधन में शपथ ग्रहण की तारीख को 20 जनवरी कर दिया गया। इसी संशोधन में नई कांग्रेस की पहली बैठक 3 जनवरी को तय की गई थी।
अमेरिका में इस दिन को इनॉग्रेशन डे कहा जाता है
अमेरिका में राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के दिन को इनॉग्रेशन डे कहा जाता है। जिसका सीधा मतलब होता है नये प्रशासन का आधिकारिक रूप से पहला दिन। हालांकि निवर्तमान राष्ट्रपति, नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के बाद भी पद पर बने रहते हैं। दरअसल होता ये है कि किसी भी राष्ट्रपति को दिन में शपथ दिलाई जाती है। ऐेसे में अमेरिकी संविधान के अनुसार निवर्तमान राष्ट्रपति 20 जनवरी को रात के 11 बजकर 59 मिनट और 59 सेकेंड तक अपने पद पर बना रहता है और इस टाइम के बाद ही उसकी सारी शक्तियां नए राष्ट्रपति के हाथों में जाती है।