नई दिल्ली। भारत के आटोमोबाइल Ford cars in India बाजार में अमेरिका की प्रमुख वाहन कंपनी फोर्ड जल्द ही अपनी कारों का निर्माण बंद कर रही है। पिछले कई वर्षों से अपनी पहचान को लेकर संघर्ष कर रही इस कंपनी ने चेन्नई और गुजरात के संयंत्रों को बंद करने का फैसला लिया है। हालांकि आगे चलकर कंपनी मस्टैंग जैसे आयातित वाहनों की बिक्री करेगी।
इन जगहों पर बंद हुआ संयंत्र
वर्षों से अपनी पहचान को लेकर प्रयत्यनशील इस कंपनी ने अपने 2 विनिर्माण संयंत्रों में चेन्नई (तमिलनाडु) channai और साणंद (गुजरात) gujrat संयंत्र plant को बंद करने का फैसला लिया है। इसमें कंपनी ने करीब 2.5 अरब डॉलर का निवेश किया है। जनरल मोटर्स के बाद फोर्ड भारत में कारखाना बंद करने वाली दूसरी अमेरिकी वाहन कंपनी है।
ये होगा आगे जाकर
कंपनी इन संयंत्रों से उत्पादित इकोस्पोर्ट, फिगो और एस्पायर जैसे वाहनों की बिक्री बंद कर देगी। इसके अलावा होगा ये कि कंपनी आगे चलकर देश में केवल मस्टैंग जैसे आयातित वाहनों की ही बिक्री करेगी। साथ ही मौजूदा ग्राहकों को सेवा देने के लिए डीलरों को भी सहायता प्रदान कर सकती है।
ये हैं क्षमता —
फोर्ड इंडिया के पास सालाना 6,10,000 इंजन और 4,40,000 वाहनों की स्थापित विनिर्माण क्षमता रखता है। फिगो, एस्पायर और इकोस्पोर्ट जैसे प्रचलित मॉडलों को कंपनी ने विश्व के 70 से अधिक बाजारों में निर्यात किया है। इसी साल की शुरूआत में फोर्ड मोटर कंपनी के साथ—साथ महिंद्रा एंड महिंद्रा ने अपने पूर्व में घोषित वाहन संयुक्त उद्यम को समाप्त करने और भारत में स्वतंत्र परिचालन जारी रखने का फैसला लिया था।
दो संयंत्रों में इतना किया हुआ है निवेश
कंपनी ने अपने चेन्नई (तमिलनाडु) और साणंद (गुजरात) संयंत्रों में लगभग 2.5 अरब डॉलर का निवेश किया है। कंपनी इन संयंत्रों से उत्पादित इकोस्पोर्ट, फिगो और एस्पायर जैसे वाहनों की बिक्री बंद कर देगी।
पहले इस कंपनी ने बंद किया था उत्पादन
इससे पहले साल 2017 में जनरल मोटर्स ने भारत में वाहनों की बिक्री बंद करने की घोषणा की थी। इस कंपनी के साथ भी करीब यही स्थिति बनी थी जब करीब दो दशकों से अधिक समय तक प्रयास करते रहने के बावजूद भी कंपनी की स्थिति में कोई खास परिवर्तन नहीं आया है। कंपनी ने अपने गुजरात स्थित हलोल संयंत्र एमजी मोटर्स को बेचा। जबकि उसने निर्यात के लिए महाराष्ट्र में अपने तालेगांव संयंत्र को चालू रखा था। लेकिन कोई खास पहचान न मिल पाने के कारण पिछले दिसंबर में वहां का उत्पादन बंद कर दिया।