जबलपुर। भारत में आपको बहुत सी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत देखने को मिलती है। यहां आपको वेद-पुराण, धर्म-आध्यात्मिकता, संस्कृति-सभ्यता, साहित्य आदि चीजें देखने को मिलेंगी। भारत को तीर्थभूमि का देश भी कहा जाता है। वहीं अगर मध्य प्रदेश की बात करें तो यह राज्य तीर्थभूमि का केंद्र है। उसमें से भी जबलपुर शहर को संस्कारधानी ‘Sanskardhani’ कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जबलपुर को संस्कारधानी क्यों कहा जाता है? अगर नहीं जानते तो चलिए आज हम आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं।
जबलपुर का अलग ही महत्व है
दरअसल, जबलपुर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से एक अलग महत्व रखता है। प्राचीन काल में जबलपुर को कई नामों से जाना गया। किवदंतियों के अनुसार, जाबालि ऋषि की तपोभूमि होने के कारण इसे ‘जाबालिपुरम’ कहा गया। इसके बाद अंग्रजों ने इसे अपने शासनकाल में ‘जब्बलपोर’ नाम दिया। वहीं कलचुरी और गौंड राजाओं के शासन करने की वजह से इसे ‘गौंडवाना’ और ‘त्रिपुरी’ भी कहा गया। लेकिन इन नामों के अलावा जबलपुर को जिस नाम से सबसे ज्यादा जाना जाता है वो है ‘संस्कारधानी’।
नाम को लेकर लोग क्या मानते हैं?
नगरवासी बड़े गर्व से इस नाम को लेते हैं। कहते हैं कि, यहां के लोगों की सांस्कृतिक, पारंपरिक और कलात्मक विशेषताओं से प्रभावित होकर संत विनोबा भावे ने इसे “संस्कारधानी” का नाम दिया था। हालांकि कुछ लोगों का ये भी मानना है कि एक बार भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जबलपुर दौरे पर आए थे। वह यहां के नागरिकों की राजनीति और शालीनता से इतने अभिभूत हुए कि उन्होंने इस शहर को संस्कारधानी का नाम दे दिया।
विश्विक आकर्षण का केंद्र है जबलुपर
हालांकि, नाम किसी ने दिया हो लेकिन यह तो मानना पड़ेगा कि इस शहर का वैभवशाली इतिहास है। इसकी संस्कृति और इसका पुरातन साहित्य ये बताता है कि शहर को संस्कारधानी क्यों कहा जाता है। यहां भेड़ाघाट की संगमरमरी चट्टानों के बीच कलकल बहती मां नर्मदा, घाटों के घाट ग्वारीघाट से दिखता सूर्यास्त का अनुपम नज़ारा, बन्दरकुदनी में नौकाविहार तथा धुंआधार जलप्रपात का मनोहारी दृश्य। ये सभी विश्वभर के पर्यटकों के लिए हमेशा से आकर्षण का केन्द्र रहे है।
इस कारण से भी कहलाया संस्कारधानी
इसके अलावा जबलपुर कई लेखकों और साहित्यकारों का क्षेत्र रहा है। कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान और प्रसिद्ध पर्यावरणविद् अमृतलाल वेगड़ जैसे साहित्य के सूरमाओं का भी शहर है यह! वेगड़ जी ने अपने नर्मदा यात्रा वृत्तांत ‘तीरे तीरे नर्मदा’ में जबलपुर के प्राकृतिक सौंदर्य का बखूबी वर्णन किया है। जबलपुर को संस्कारधानी नाम ऐसे ही नहीं मिल गया। कहा जाता है, यहां हुए आचार्य-मनीषियों और ऋषियों ने इसे अपने संस्कारों का उपहार दिया तब कहीं जाकर ये ‘संस्कारधानी’ कहलाया।