टोक्यो। आज के दिन की शुरुआत देश के लिए खुशखबरी के साथ हुई। आज भारतीय हॉकी टीम (Indian Hockey Team Beat Germany In Olympic) ने धमाकेदार मुकाबले में 5-4 से जर्मनी को हराते हुए कांस्य पदक पक्का कर लिया है। हॉकी टीम ने 41 साल से पड़े सूखे को खत्म कर दिया है। हालांकि इससे पहले भारतीय हॉकी टीम का दुनिया में जलवा हुआ करता था। एक समय था जब भारतीय हॉकी टीम को देखने के लिए मैदान खचाखच भर जाते थे। यह वही समय था जब जादूगर मेजर ध्यानचंद्र की हॉकी का जादू देखने के लिए ग्राउंड पर लोगों की कतारें लगा करती थी। यह वही समय था जिसके रिकॉर्ड आज तक दुनिया की टीमें नहीं तोड़ पाईं। अब टोक्यो ओलंपिक में हॉकी टीम के प्रदर्शन को देखकर कहा जा सकता है कि भारत एक बार फिर अपना इतिहास दोहराने जा रहा है। आज जानते हैं ओलंपिक में भारत का सफर….
ओलंपिक में भारतीय इतिहास की बात करें तो अब तक कुल 28 पदक देश झोली में आ चुके हैं। इनमें से 9 गोल्ड, 7 सिल्वर और 12 ब्रॉन्ज शामिल हैं। भारत को सबसे ज्यादा 8 गोल्ड हॉकी टीम ने ही दिलाए हैं। वहीं व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा में भारत के नाम केवल 1 स्वर्ण पदक है। यह स्वर्ण अभिनव बिंद्रा ने 2008 में बीजिंग ओलंपिक में शूटिंग स्पर्धा में जीता था। ओलंपिक में भारतीय पदकों की शुरुआत साल 1928 से शुरू हुई। यह साल ओलंपिक के साथ भारत के लिए भी ऐतिहासिक रहा। नीदरलैंड में आयोजित इस ओलंपिक में पहली बार मशाल जलाने की प्रथा शुरू की गई। इसके साथ ही महिलाओं को भी पहली बार ओलंपिक में भाग लेने की अनुमति दी गई। इस ओलंपिक में मात्र 11 साल 302 दिन की एक महिला जिमनास्ट ने रजत पदक जीतकर रिकॉर्ड कायम किया। यह रिकॉर्ड आज अचरज की तरह बरकरार है। भारतीय हॉकी टीम ने इस ओलंपिक में धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए पहली बार सीधे स्वर्ण पर गोल दागा।
50 हजार से ज्यादा लोगों ने देखा मुकाबला
इस मुकाबले को देखने के लिए करीब 50 हजार लोग इकट्ठे हुए थे। इसके बाद भारतीय टीम के अंदाज और खिलाड़ियों की हॉकी (Indian Hockey Team) के चर्चे पूरी दुनिया में फैल गए। भारतीय टीम ने इस ओलंपिक के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और जीत का सफर लगातार पांच बार स्वर्ण पदक के साथ जारी रहा। 1928 के बाद 1932, 1936, 1948, 1952, 1956 के ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का गोल्ड पर कब्जा बरकरार रहा। साल 1932 में भारतीय टीम ने अमेरिका को 24-1 के रिकॉर्ड अंतर से मात दी थी। यह रिकॉर्ड आज भी ओलंपिक के इतिहास में दर्ज है जिसे तोड़ा नहीं जा सका। भारतीय हॉकी टीम ने करीब 36 साल तक एकछत्र राज किया। 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में केएल जाधव ने कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर भारत की झोली में एक और पदक डाला। इसके बाद अगले ओलंपिक में हॉकी टीम का विजयी रथ थम गया। हालांकि साल 1964 के टोक्यो ओलंपिक में हॉकी टीम ने अपनी हार का बदला लिया और पाकिस्तान को 1-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीत लिया। ओलंपिक में महिला खिलाड़ियों की बात करें तो सबसे पहले पीटी ऊषा ने शानदार प्रदर्शन कर नाम रोशन किया। हालांकि पीटी ऊषा चौथे स्थान पर रहीं और कांस्य पदक से चूक गईं। लेकिन पीटी ऊषा का प्रदर्शन कई महिला खिलाड़ियों की आंखों में पदक के सपने भर गया।
लिएंडर पेस ने किया था शानदार प्रदर्शन
साल 1996 के अटलांटा ओलंपिक में भारतीय टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस ने भी शानदार प्रदर्शन कर एकल स्पर्धा में कांस्य पदक भारत की झोली में डाला। इसके बाद साल 2000 के सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने भारत को कांस्य पदक दिलाया। 2004 के एथेंस ओलंपिक में राज्यवर्धन राठौर ने डबल ट्रैप शूटिंग में रजत पदक क्या जीता कि वह देश के हीरो बन गए। 2008 के बीजिंग ओलंपिक में भारत की तरफ से अभिनव बिंद्रा ने पहली बार एकल स्पर्धा में स्वर्ण जिताया। ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन की बात करें तो 2012 के लंदन ओलंपिक में सबसे ज्यादा मेडल जीते। इस ओलंपिक में कुल 6 पदक भारत की झोली में आए। इसके बाद 2016 के रियो ओलंपिक में भारत केवल दो पदक जीतने में सफल रहा। वहीं टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic 2020) की बात करें तो अब तक भारत पांच पदक जीत चुका है। वहीं अंतिम चरण में कुछ खिलाड़ियों के मुकाबले बचे हुए हैं जिनसे पदक की उम्मीदें हैं।