नई दिल्ली। हम टूटे हुए प्लास्टिक, टूटे हुए गाड़ियों के पार्ट्स, किसी धातु आदि को चिपकाने के लिए सुपर ग्लू का इस्तेमाल करते हैं। सुपर ग्लू से सब कुछ चिपक जाता है। जिस चीज को हम साधारण ग्लू से नहीं चिपका पाते उसे हम सुपर ग्लू से चिपकाते हैं। आप सोच रहे होंगे कि ये सुपर ग्लू आखिर क्या चीज है? दरअसल, सुपर ग्लू को तो ऐसे कई नामों से जाना जाता है, लेकिन भारत में ज्यादातर लोग फेवीक्विक का ही सुपर ग्लू यूज करते हैं।
आखिर अपने ही डिब्बी में क्यों नहीं चिपकता फेवीक्विक
आज के समय में कोई भी चीज टूट जाए, लोग फटाक से 5 रूपये में फेवीक्विक खरीद कर उसे जोड़ देते हैं। चाहे वो प्लास्टिक हो या कोई धातु। बच्चों का खिलौना हो या बाइक के टूटे हुए पार्ट्स हम 5 रूपये के फेवीक्विक से उसे जोड़ लेते हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि अच्छी से अच्छी चीजों को चुटकियों में चिपका देने वाला फेवीक्विक आखिर अपनी ही डिब्बी में क्यों नहीं चिपकता है?
इसके पीछे एक विज्ञान है
दरअसल, फेवीक्विक खुद की डिब्बी में नहीं चिपकता, तो इसके पीछे एक विज्ञान है। फेवीक्विक बनाते समय कंपनी इसके ऑर्गेनिक सॉल्वेंट में एक बेहद ही खास चीज मिलाती है, जिसे Cyanoacrylate Polymer कहा जाता है। जब ये हवा के संपर्क में आता है तो वाष्पीकृत होकर वस्तु से चिपक जाता है। लेकिन फेवीक्विक का सॉल्यूशन जब अपनी डिब्बी में होता है तो ये हवा के साथ संपर्क में नहीं आ पाता। जिसकी वजह से ये वाष्पीकृत नहीं हो पाता और इसी वजह से यह डिब्बी में नहीं चिपक पाता।
डिब्बी में भी चिपक सकता है सुपर ग्लू
अगर फेवीक्विक के डिब्बी को कुछ देर के लिए खोल दिया जाए और उसे हवा के संपर्क में लाया जाए तो निश्चित रूप से वो चिपक जाएगा। यानी साफ है कि फेविक्विक या सुपर ग्लू हवा में आने के बाद ही वाष्पित होकर किसी भी चीज से चिपकता है। बिना हवा के वो किसी भी चीज को नहीं जोड़ पाएगा।