नई दिल्ली। अगर आप भी संक्रमण से बचाव के लिए भाप लेते हैं तो सावधान हो जाईए। दरअसल, कोरोना की चपेट में आने के बाद लोगों ने एहतियातन के तौर पर खूब भाप ली। जो अब ब्लैक फंगस की वजह बन गई है। भाप की वजह से नाक और आंख के बीच की परत यानी मीडियल वाल आफ आर्बिट डौमेज हो रही है। वहीं प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से यहां म्यूकर माइकोसिस यानि ब्लैक फंगस पनप रहा है।
शोध में हुआ खुलासा
इसका खुलासा जीएसवीएम मेडिकल कालेज कानपुर के एक शोध में हुआ है। नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष और अन्य चिकित्सकों ने अपने शोध में पाया कि अस्पताल में ब्लैक फंगस की वजह से भर्ती हुए 50 मरीजों में से 90 फीसदी लोगों ने भाप लेने की बात कही। उनमें से कई ऐसे भी लोग थे जो कभी कोरोना संक्रमित नहीं हुए थे फिर भी ब्लैक फंगस के शिकार हो गए। विशेषज्ञ अब इस शोध को प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैसेंट में प्रकाशित करवाना चाह रहे हैं। इसके लिए लैसेंट को ईमेल भी किया गया है।
शोध में 53 लोगों को शामिल किया गया था
गौरतलब है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में संक्रमण के बाद लोगों पर ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है। कई राज्यों ने ब्लैक फंगस को महामारी भी घोषित कर दिया है। इसी को देखते हुए जीएसवीएम मेडिकल कालेज कानपुर के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान, असिस्टेंट प्रोफेसर डा. पारूल सिंह और डा. नम्रता सिंह ने मरीजों पर अध्ययन करना शुरू किया। तीनों डॉक्टरों ने मिलकर 53 संक्रमितों की केस स्टडी तैयार की। इस शोध में ब्लैक फंगस से पीड़ित 25 वर्ष की आयु से लेकर 70 वर्षीय बुजुर्ग शामिल थे। इन मरीजों में से 95 फीसदी लोगों को कोरोना हुआ था, जबकि बाकि के 5 फीसदी लोग बिना संक्रमित हुए ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए थे।
लोगों ने कई बार मन से भाप ली थी
डॉक्टरों ने अपने शोध में पाया कि जिन लोगों को ब्लैक फंगस हुआ है उनमें से 99 फीसदी मरीज मधुमेह से पीड़ित हैं। साथ ही उन्हें स्टेरायड और एंटीबायोटिक दवाएं भी खूब दी गईं हैं। इससे हुआ ये कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो गई और उपर से उन्होंने दिन में कई-कई बार भाप ली। इस कारण से नाक में नमी से ब्लैक फंगस के स्पोर वहां तेजी से विकसित हुए। बतादें कि कोरोना पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल में भी फैला था। लेकिन वहां ब्लैक फंगस के एक भी केस सामने नहीं आए। लेकिन भारत में इसके सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। ऐसे में शोधकर्ताओं ने पाया कि ब्लैक फंगस से पीड़ित 90 फीसदी लोगों ने अपने मन से दिन में कई-कई बार भाप ली। साथ ही हाई एंटीबायोटिक इस्तेमाल से उनके शरीर के अच्छे बैक्टीरिया भी मर गए, जिससे फंगस आक्रामक हो गया।