नई दिल्ली। सुशांत सिंह राजपूत को इस दुनिया को अलविदा कहे आज 1 साल हो गया है। उनके चाहने वाले आज अपने-अपने तरीके से उन्हें याद कर रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिए कई लोग उन्हें श्रद्धांजलि भी दे रहे हैं। ऐसे में हम आज उन्हें याद करते हुए उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प किस्से आपको बताएंगे।
बचपने से ही हीरो थे
दरअसल, सुशांत सिंह राजपूत, और एक्टरों की तरह फिल्मों में आने के बाद हीरो नहीं बने। वे अपने स्कूल टाइम से ही हीरो थे, यानी पढ़ाई-लिखाई में काफी होशियार। स्कूल में वे सब के फेवरेट थे। उन्हें बचपन से ही साइंस की दुनिया काफी पसंद थी। यही कारण है कि उन्होंने स्कूली पढ़ाई के बाद इंजीनियरिंग करने का मन बनाया। उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनयरिंग में एडमिशन लेने के लिए देशभर में 7वां रैंक हासिल किया था। उस वक्त लोग डीसीई में एडमिशन लेने के लिए तरस जाते थे। हालांकि सुशांत ने बाद में इंजिनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। क्योंकि उन्हें एक्टर बनना था, हीरो तो वे बचपन से ही थे।
एक्टिंग लिए पढ़ाई बीच में छोड़ दी
दिल्ली में रहने के दौरान ही उन्हें एक्टिंग का शौक लगा। एक बार उनकी मुलाकात प्रसिद्ध थिएटर निर्देशक और कलाकार नादिरा बब्बर से हुई। इस मुलाकात के बाद सुशांत का मन एक्टिंग में लगने लगा। वे नादिरा के साथ जुड़ गए और उनके नाटकों में काम करने लगे। वे अपनी एक्टिंग की दुनिया को लेकर काफी अनुशासित थे। यही कारण है कि उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर मुंबई जाने का फैसला किया।
मेहनत पर विश्वास
जब वे बीच में पढ़ाई छोड़ कर मुंबई जा रहे थे, तो उनके कई दोस्तों ने समझाया कि पहले पढ़ाई कंप्लीट कर लो उसके बाद मुंबई जाना। लेकिन सुशांत ने किसी की एक ना सुनी और अपनी मेहनत पर विश्वास करते हुए मुंबई जाने के फैसले को सही साबित कर दिखाया। वैसे तो सुशांत को लेकर कई किस्से हैं। खासकर मायानगरी जाने के बाद, जिसे ज्यादातर लोग जानते भी हैं। लेकिन उनके बचपन के किस्से कम ही लोग जानते हैं। इसी कड़ी में एक किस्सा है कि पहले ही दिन क्लास ने निकाल दिए गए थे सुशांत।
पहले ही दिन क्लास से बाहर कर दिए गए
दरअसल, सुशांत साल 2001 में हायर स्टडीज के लिए बिहार से दिल्ली आ गए थे। यहां उन्होंने कुलाची हंसराज मॉडल स्कूल में 11वीं क्लास में एडमिशन लिया था। लेकिन स्कूल के पहले ही दिन उन्हें टीचर ने क्लास से बाहर कर दिया। दरअसल, सुशांत इतने मिलनसार थे कि पहले ही दिन उन्होंने क्लास में कई दोस्त बना लिए। उन्हीं दोस्तों में से एक थी नाव्या जिंदल। दोनों क्सास में एक साथ बैठे हुए थे तभी सुशांत ने एक मजेदार जोक सुना दिया। आसपास के सभी बच्चे ठहाके मार के हंसने लगे। इसके बाद टीचर ने नाराज होकर नाव्या और सुशांत को क्लास से बाहर कर दिया।
स्कूल नें लोग सुशांत को आलराउंडर मानते थे
सुशांत को लोग स्कूल में आलराउंडर मानते थे। उनकी एक दूसरी दोस्त आरती बत्रा दुआ बताती हैं कि स्कूल में ज्यादातर बच्चे पढ़ाई को लेकर गंभीर थे, मैं भी थी। लेकिन सुशांत सभी चीजों को हल्के में लेता था। हालांकि ऐसा भी नहीं था कि वो पढ़ाई को नजरअंदाज किया करता था। लेकिन कभी भी उसने पढ़ाई को लेकर तनाव नहीं लिया। वह एक कंप्लीट पैकेज था। वह पढ़ाई में भी अच्छा था, सबसे ज्यादा शरारती भी था और इसके बावजूद वह सभी शिक्षकों का चहेता था।
टीचर उन्हें कैसनोवा बुलाया करते थे
स्कूल में सुशांत सबके फेवरेट थे। उनका ज्यादातर उठना बैठना लड़कियों के साथ होता था। इस बात से उनके कमेस्ट्री की टीचर काफी परेशान रहते थे। वे सुशांत को कैसनोवा (लड़कियों में इट्रेस्ट लेने वाला) बुलाया करते थे। उनका कहना था कि सुशांत को पढ़ना-लिखना नहीं है बस वह आवाराग्रदी करता गै।