रायपुर। आज ही के दिन यानी कि 24 अप्रैल 1956 को छत्तीसगढ़ की मशहूर लोक गायिका तीजन बाई का जन्म हुआ था। छत्तीसगढ़ की प्राचीन पंडवानी कला को बढ़ाने में तीजन बाई का विशेष योगदान माना जाता है। एक छोटे से गाँव से पद्म विभूषण तक पहुँचने की उनकी कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है।
नाना ने उन्हें प्रेरित किया
तीजन बाई को पंडवानी लोक गीत-नाट्य की पहली महिला कलाकार माना जाता है। उनका जन्म भिलाई के एक गांव गनियारी में हुआ था। तीजन के नाना ब्रजलाल ने उन्हें प्राचीन पंडवानी कला की ओर प्रेरित किया। वे बचपन में तीजन बाई को महाभारत की कहानियां गाकर सुनाते थे। धीरे-धीरे ये कहानियां तीजन बाई को याद हो गई। बाद में उनकी प्रतीभा को देखकर उमेद सिंह देशमुख ने उन्हें पंडवानी कला का प्रशिक्षण दिया।
तीजन से पहले कोई महिला खड़े होकर पंडवानी नहीं गाती थी
तीजन बाई ने महज 13 साल की उम्र में ही पहला मंच प्रदर्शन किया था। उस समय कोई भी महिला खड़े होकर पंडवानी नहीं गाती थीं। वे हमेशा बैठकर पंडवानी गाया करती थी। इसे वेदमती शैली कहा जाता है। जबकि पुरूष खडे होकर कापालिक शैली में गाते थे।
हबीब तनवीर ने बदल दी उनकी किस्मत
तीजन बाई के जीवन में एक दिन ऐसा आया कि उनका पूरा जीवन बदल गया। दरअसल, एक दिन प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर ने उन्हें सुना। वो तीजन की कला से इतने प्रभावित हुए कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर देश-विदेश में उनकी कला को प्रदर्शित करवाया।
नाम पीछे है दिलचस्प कहानी
तीजन के नाम के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। दरअसल, छत्तीसगढ़ में तीजा पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है और इसी दिन उनका जन्म हुआ, इसलिए इनकी माँ ने नाम रख दिया – तीजन। इनके पिता का नाम चुनुकलाल पारधी और माता का नाम सुखवती था। तीजनबाई अपने माता-पिता की पांच संतानों में सबसे बड़ी थीं।
डी. लिट की मानद उपाधि से हो चुकी हैं सम्मानित
तीजन बाई ने कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली है, लेकिन उनकी उपलब्धि को देखते हुए बिलासपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें डी. लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा डॉ तीजन को उनकी कला के लिए सन् 1988 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री और 2003 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया किया गया। उन्हें 1995 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 2007 में नृत्य शिरोमणि से भी सम्मानित किया जा चुका है। तीजन बाई अब अपनी इस कला को नई पीढ़ी को सौंप रही हैं। उन्होंने कई लड़कियों को पंडवानी का प्रशिक्षण दिया है।