भोपाल। हिन्दु धर्म में फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक होलाष्टक माना जाता है। varjit hain ye kaary ऐसी मान्यता है कि इन आठ दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। होलाष्टक होली के पहले आठ दिन से शुरू होकर होली के दिन तक चलता है। इस बार होलाष्टक 21 मार्च से 28 मार्च तक रहेगा। 28 मार्च को होलिका दहन होगा। 29 मार्च को धुरेड़ी मनाई जाएगी। होलाष्टक के साथ घर में मलिएं बनने लगती हैं और इस त्योहार की शुरूआत हो जाती है। इस दौरान न किए जाने वाले कार्यों के पौराणिक और ज्योतिषीय दोनों कारण हैं।
गेंहू की बालें लाती हैं समृद्धि
वैसे तो होली का पूजन लगभग एक ही तरीके से होता है परन्तु मध्यप्रदेश में होलिका दहन पर गेंहू की बाले अग्नि में जला कर उसे घर में रखने की परंपरा है। पहले के समय में गांव में लोग कच्चे घरों की छप्पर के नीचे इन बालों को रख दिया करते थे। ऐसी मान्यता है कि इससे वर्ष भर घर में धन—धान्य की वृद्धि बनी रहती है। साथ ही इसे नई फसल की आवक की खुशहाली के रूप में भी देखा जाता है। पूजन के बाद परिक्रमा लगाते समय “ॐ होलिकायै नमः” मंत्र का जाप करने से अनिष्टता का नाश होता है।
इन देशों में हैं प्रचलन
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार यद्यपि व्यास, रावी, शतलज, त्रिपुष्कर और पंजाबू, इन प्रदेशों में होलाष्टक ज्यादा माना जाता है। यहां होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। मध्य प्रदेश में सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं। परन्तु लोग पुरानी विचारधारा अनुसार अब शुभ कार्य न करने की परंपरा को मानने लगे हैं।
सालभर जलती थी अग्नि
पहले समय में होली की अग्नि घर लाकर चूल्हे में डाल दी जाती थी। सुबह से महिलाएं फिर से उसमें लकड़ी डालकर अग्नि को निरंतर जलाए रखने का प्रयास करती थीं। ऐसी मान्यता थी कि इससे अग्नि देवता हमेशा घर में विराजमान रहते हैं। एक परंपरा अनुसार होलाष्टक के दिन गाय के गोबर से मलिएं बनाई जाती थीं। फिर होलिका दहन की अग्नि लाकर इन मलियों को जलाकर उसमें भोजन बनाया जाता था।
इसलिए नहीं होते शुभ कार्य
ऐसी मान्यता है कि हिरण्यकश्यप ने इन्हीं 8 दिनों के दौरान अपने बेटे प्रहलाद को काफी कष्ट दिए थे इसलिए दौरान शुभ कार्य वर्जित हैं। इस दौरान भूमि पूजन, गृह प्रवेश, मांगलिक कार्य आदि वर्जित माने गए हैं। नया कार्य या नया व्यवसाय करना वर्जित है।
वैज्ञानिक महत्व
वैज्ञानिकों के अनुसार फरवरी—मार्च से मौसम बदलने के कारण मन अशांत होता है। इस अशांति को दूर करने के लिए होली का रंग आपकी जीवन में खुशियां लाता है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन तिथि: 28 मार्च 2021
होलिका दहन आरंभ तिथि: शाम 6 बजे से
होलिका दहन समाप्ति तिथि: रात 9 बजे तक
होलिका दहन की कुल अवधि: कुल 3 घंटे
यह कार्य हैं वर्जित
— वैवाहिक कार्य।
— धन संपत्ति में निवेश।
— नए व्यवसाय की शुरुआत।
— गृह प्रवेश, निर्माण या मरम्मत संबंधी कार्य।
— मुंडन संस्कार।
— नए वाहन की खरीदी।
— किसी भी प्रकार के संस्कार