Anokha Village: भारत के तमिलनाडु राज्य में एक ऐसा गांव है जहां जूते-चप्पल पहनने पर पाबंदी है। यहां रहने वाला कोई भी व्यक्ति गांव के अंदर जूते-चप्पल नहीं पहनता है। अगर किसी ने यह नियम तोड़ा तो उसे कठोर सजा भी मिलती है। आइए जानते हैं गांव में यह परंपरा आखिर कैसे शुरू हुई और इसकी पीछे की असली वजह क्या है।
तमिलनाडु में मदुराई से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव का नाम कलिमायन (Kalimayan Village) है। यहां ज्यादातर किसान या मजदूर रहते हैं। यहां रहने वाला एक भी शख्स गांव के अंदर जूते-चप्पल नहीं पहनता है। ये लोग भूल से भी जूता-चप्पल पहनने की गलती नहीं करते। सालों से किसी ने यहां चप्पल-जूते नहीं पहने। लोग अपने बच्चों को भी इसे पहनने से मना करते हैं। अगर गलती से भी कोई जूते पहन लेता है तो उसे सजा सुनाई जाती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, देवता के सम्मान में गांव के लोग ऐसा करते हैं। हैरत की बात ये है कि, यहां ये नियम जबरदस्ती नहीं मनवाना पड़ता। लोग खुशी-खुशी इसका पालन करते हैं। हालांकि गांव के बाहर जाने के लिए लोग हाथों में जूते-चप्पल लेकर जाते हैं और गांव की सीमा के बाहर पहुंचते ही पहन लेते हैं। गांव में प्रवेश करने से पहले ही चप्पल-जूतों को हाथ में ले लेते हैं।
इस परंपरा के पीछे गांव के लोगों का अपना तर्क है। कहा जाता है कि, इस गांव के लोग सदियों से अपाच्छी नाम के देवता की पूजा करते आ रहे हैं। वो ये भी मानते हैं कि अपाच्छी देवता ही उनकी रक्षा करते हैं। अपने देवता के प्रति आस्था दिखाने के लिए गांव की सीमा के अंदर जूते-चप्पल पहनना मना है। गांव के कई पीढ़ियों से लोग इस परंपरा को निभाते आ रहें हैं।