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Farmers Bharat Bandh on 8th December: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के विरोध-प्रदर्शन ने अब महाआंदोलन का रूप ले लिया है। हालांकि किसानों की सरकार से कई बार बात भी हुई लेकिन कोई हल नहीं निकला। शनिवार को केंद्र और किसानों के बीच 5वें दौर की बातचीत भी फेल रही। किसानों ने इस बातचीत से पहले ही 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान कर दिया था। अब किसानों के भारत बंद को कांग्रेस समेत 11 से ज्यादा विपक्षी दलों का समर्थन मिल चुका है।
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कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि, कांग्रेस ने 8 दिसंबर को किसानों के भारत बंद का समर्थन करने का फैसला किया है। इसके अलावा ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC), लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD), मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS), राष्ट्रीय लोकदल (RLD) ने भी भारत बंद को समर्थन देने का फैसला किया है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समर्थन किया है।
Congress has decided to support the Bharat Bandh on December 8. We will be demonstrating the same at our party offices. It will be a step strengthening Rahul Gandhi’s support to the farmers. We will ensure that the demonstration is successful: Congress Spokesperson Pawan Khera pic.twitter.com/lyb3BmTBz9
— ANI (@ANI) December 6, 2020
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी समर्थन का ऐलान किया है। केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है कि, ‘सभी देशवासियों से अपील है की कि सब लोग किसानों का साथ दें और इसमें हिस्सा लें।’
8 दिसंबर को किसानों द्वारा किए गए भारत बंद के आह्वान का आम आदमी पार्टी पूरी तरह से समर्थन करती है। देश भर में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीक़े से इसका समर्थन करेंगे। सभी देशवासियों से अपील है की सब लोग किसानो का साथ दें और इसमें हिस्सा लें https://t.co/xNseuxjtFO
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 6, 2020
किसानों के द्वारा बुलाए गए भारत बंद को 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का भी समर्थन मिल है। प्रदर्शनकारी किसानों की मूल मांग कृषि क्षेत्र से जुड़े तीनों कानूनों को वापस लेने की है। किसानों की इस मांग पर केंद्र सहमत नहीं है। हालांकि सरकार कानूनों में कुछ संशोधन करने के लिए राजी है मगर किसान नेता कानूनों को वापस लेने की मांग पर ही अड़े हुए हैं।
किसानों का आंदोलन पहले दिल्ली-एनसीआर में केंद्रित था, अब यह राष्ट्रव्यापी होता जा रहा है। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के किसानों से भी दिल्ली आने की अपील की गई है।