नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त, 2020 को अपने संबोधन में लड़कियों को लिए शादी की न्यूनतम उम्र सीमा पर पुनर्विचार करने के लिए एक समिति गठित करने की घोषणा की थी। हालांकि यह मुद्दा बहुत समय से विवाद में चल रहा है।
भारतीय दंड संहिता 1860 में यह न्यूनतम उम्र 10 साल थी। लेकिन फिर बाद में हुए संशोधनों के बाद अब लड़कियों की शादी के लिए न्यूनतम आयु 18 साल हो गई है। वहीं लड़कों की उम्र 21 साल कर दी गई है। कुछ लोगों का मानना है कि इस तरह से लड़कियों के साथ भेदभाव की भावना आती है। इसलिए इसे लड़के और लड़कियों दोनों के लिए एक बराबर करने की दलील देते हैं।
शादी की उम्र 18 से 21 साल किए जाने की संभावना पर विचार
बाल विवाह को रोकने के अलावा लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाए जाने के पीछे कई और मजबूत तर्क दिए जाते हैं। कम उम्र में गर्भधारण से जच्चा-बच्चा दोनों की जिंदगी खतरे में पड़ती है। मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के अलावा प्रधानमंत्री द्वारा गठित समिति कई और मुद्दों पर विचार करेगी। समिति सेहतमंद मातृत्व और शादी की उम्र के बीच सहसंबंध का परीक्षण करेगी। इसमें गर्भधारण से लेकर बच्चे के जन्म और उसके बाद जच्चा-बच्चा के पोषण पर खास जोर दिया जाएगा। इसके लिए शादी की उम्र को 18 से 21 किए जाने की संभावना पर भी विचार करेगी।