नई दिल्ली: बिहार के कद्दावर नेता व लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक रामविलास पासवान का गुरूवार रात को निधन हो गया। रामविलास पासवान केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री रह चुके है। बीते कई दिनों से रामविलास पासवान बीमार चल रहे थे।
रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने अपनी आधी राजनीतिक यात्रा के दौरान रिकार्ड बनाए हैं, आधी सदी राजनीतिक यात्रा के दौरान उन्होंने सर्वाधिक वोटों को जीतने का रिकार्ड बनाया है। इसके अलावा उनके नाम पर 6 प्रधानमंत्रियों के साथ बतौर कैबिनेट मिनिस्टर काम करने का रिकार्ड भी दर्ज है। रामविलास पासवान का जीवन सफर ( Life incident of ram vilas paswan ) कैसा रहा आइए जानते हैं जीवनकाल से जुड़ी कुछ खास बातें…
खगड़िया से शुरू हुआ जीवन का सफर
एक गरीब दलित परिवार में जन्में रामविलास पासवान की इच्छाशक्ति ही थी जिसने उन्हें सर्वोच्च नेताओं की सूची में लाकर खड़ा कर दिया। गरीबी को बखूबी समझते थे पासवान, उनका जन्म 5 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले के पिछड़े शहरबन्नी गांव में हुआ था। रामविलास पासवान ने कोसी कॉलेज और पटना यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे साल 1969 में बिहार में डीएसपी बने, लेकिन पुलिस की नौकरी में उनका मन हीं लगा और वे राजनीति में उतर गए।
पहली बार साल 1969 में बने विधायक
रामविलास पासवान 1969 में पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से विधायक बने थे। इसके बाद उन्हें साल 1974 में पहली बार लोकदल का महासचिव बनाया गया था। बता दें कि पासवान आपातकाल के दौरान जेल भी गए थे। फिर साल 1977 में लोकसभा चुनाव में उन्होंने चार लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज कर वर्ल्ड रिकार्ड बनाया था।
बिहार की राजनीति के बड़े दलित चेहरा
पासवान बिहार की राजनीति का बड़ा चेहरा थे, बाबू जगजीवन राम के बाद बिहार में दलित नेता के तौर पर पहचान बनाने के लिए उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की। रामविलास पासवान को दलितों के राम तो कभी सूट-बूट वाले दलित नेता भी कहा जाता था।
छह प्रधानमंत्रियों के रहे कैबिनेट मिनिस्टर
राम विलास पासवान ने 2019 में चुनावी राजनीति में अपने 50 वर्ष पूरे किए थे। इस दौरान उन्होंने छह प्रधानमंत्रियों की मंत्रिपरिषद में केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी निभाई। पासवान ने विश्वनाथ प्रताप सिंह, एचडी देवगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, मनमोहन सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकारों में मंत्री पद की जिम्मेदारी निभाई।
साल 2002 में छोड़ा था NDA
साल 2002 में गुजरात दंगे के बाद रामविलास पासवान ने विरोध कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को छोड़ दिया था। इसके बाद वे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन में शामिल हो गए थे। लेकिन फिर दो साल बाद उन्होंने ( UPA ) की सरकार बनने पर मनमोहन सिंह की सरकार में बतौर रसायन एवं उर्वरक मंत्री काम किया था। लेकिन फिर यूपीए के दूसरे कार्यकाल में कांग्रेस के साथ उनके रिश्तों में दूरी आ गयी। तब 2009 के लोकसभा चुनाव में वे हाजीपुर में हार गए थे। उन्हें मंत्री पद नहीं मिला।
2014 में फिर की NDA में वापसी
2014 के लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जेडीयू के अपने पाले में नहीं रहने पर रामविलास पासवान का स्वागत किया और बिहार में उन्हें सात सीटें दी, जिनमें एलजेपी ने छह सीटों पर जीत दर्ज की। रामलिवास पासवान, उनके बेटे चिराग पासवान और भाई रामचंद्र पासवान भी चुनाव जीत गए। राम विलास पासवान मंत्री बनाए गए। पीएम मोदी की वर्तमान सरकार में खाद्य, जनवितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री के रूप में रामविलास पासवान ने जन वितरण प्रणाली में सुधार लाने के अलावा दाल और चीनी क्षेत्र में संकट का प्रभावी समाधान किया। वर्तमान में वे राज्यसभा सदस्य थे।
राम विलास पासवान ने की थी दो शादियां, पहली पत्नी से दो बेटियां
राम विलास पासवान ने दो शादियां की थीं। साल 1960 में उन्होंने राजकुमारी देवी से शादी की और साल 1981 में तलाक दे दिया था। पहली पत्नी से उषा और आशा दो बेटियां हैं। इसके बाद उन्होंने 1983 में एक पंजाबी हिंदू रीना शर्मा से दूसरी शादी कि, जिनसे उन्हें एक बेटा चिराग पासवान और एक बेटी है।