भोपाल: हर साल भादौ मास की पूर्णिमा से दो सितंबर तक महालय श्राद्ध की शुरुआत होती है। इस बार महालय श्राद्ध की शुरुआत 2 सितंबर से हो चुकी है, वहीं इस बार श्राद्ध पक्ष बुधादित्य योग में शुरु हुआ है। सर्वपितृ अमावस्या पर पक्ष काल का समापन शुभयोग के संयोग में होगा। सोलह दिवसीय श्राद्ध में इस बार 10 दिन अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि योग तथा पुष्य नक्षत्र का विशिष्ट संयोग भी रहेगा। धर्मशास्त्र के जानकारों के अनुसार शुभ संयोगों की साक्षी में पितरों का श्राद्घ करने से वंशवृद्घि, शुभ कार्यों को प्रगति मिलेगी। इस दिन एक तरफ जहां पितर पक्ष का समापन और नवरात्र की शुरूआत होने वाली होती है।
महालया के दिन होते हैं इन लोगों के श्राद्ध
महालया अमावस्या के दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी तिथि याद नहीं होती है। इसके अलावा इस दिन ऐसे पितरों का श्राद्ध भी किया जाता है जिनके मरने की कोई तिथि या फिर उनके बारे में कोई जानकारी नहीं होती। या फि कई सालों से अज्ञात लोगों और उनके जिंदा होने की कोई उम्मीद नहीं होती है।
इस तरह करें पितरों का श्राद्ध
महालाया अमावस्या के दिन तर्पण में दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल से पितरों को तृप्त किया जाता है। इसके अलावा इस दिन पितरों के पसंद का भोजन बनाया जाता है। इसके साथ ही इस दिन बने भोजन को पांच स्थानों में निकालना चाहिए, जिसमें पहला हिस्सा गाय का, दूसरा हिस्सा देवों का, तीसरा हिस्सा कौए का, चौथा हिस्सा कुत्ते का और पांचवा हिस्सा चींटियों का होता है। अंत में जल का तर्पण जरुर करें, इससे पितरों की प्यास बुझती है।
लॉकडाउन के बाद मिली अनुमति
प्रशासन ने लॉकडाउन के बाद तीर्थ स्थलों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पितृकर्म कराने की अनुमति दी है। इसके बाद से तीर्थ पुरोहित घाटों पर पितृकर्म करा रहे हैं। हालांकि पुरोहितों का कहना है कि लोक परिवहन के साधन बंद रहने से श्राद्घपक्ष में दूरदराज से बड़ी संख्या में लोगों के आने की संभावना कम है। जो श्रद्घालु तीर्थ पर आएंगे उन्हें इस बार कोरोना नियमों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य होगा।