जशपुरनगर: जिला प्रशासन ने जशपुर पुरातत्व संग्राहलय को नया रूप दिया है। जिला खनिज न्यास निधि संस्थान ने 25 लाख 85 हजार की लागत से इसे बनाया है। पूर्व कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर और कलेक्टर महादेव कावरे के दिशा निर्देशों के अनुसार संग्राहलय को नया मूर्त रूप दिया गया है।
13 जनजातियों की पुरानी चीजों को किया गया संग्रहित
संग्राहलय का लाभ जशपुर जिले के आस-पास के विद्यार्थियों को मिलेगा। साथ ही क्षेत्रीय विशेषताओं की पहचान होगी। पुरातात्विक इतिहासिक चीजों को बचाने एवं संरक्षित रखने हेतु अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रही है। संग्राहलय में 13 जनजाति बिरहोर, पहाड़ी कोरवा, असूर जनजाति, उरांव, नगेशिया, कवंर, गोंड, खैरवार, मुण्डा, खड़िया, भूईहर, अघरिया आदि जनजातियों की पुरानी चीजों को संग्रहित करके रखा गया है। संग्राहलय में तीन कमरा, एक गैलरी को मूर्त रूप दिया गया है।
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संग्राहलय में लघु पाषाण उपकरण, नवपाषाण उपकरण, एतेहासिक उपकरणों को रखा गया है। साथ ही भारतीय सिक्के 1835 से 1940 के सिक्कों को संग्रहित करके रखा गया है। संग्राहलय में मृद भांड, कोरवा जनजाति के डेकी, आभूषण, तीर-धनुष, चेरी, तवा, डोटी, हरका, प्रागैतिहासिक काल के पुरातत्व अवशेष के शैलचित्र को भी रखा गया है। साथ ही जशपुर में पाए गए शैल चित्र के फोटोग्राफ्स को भी रखा गया है।
इन सामग्रियों को रखा गया सुरक्षित
अनुसूचित जनजाति के सिंगार के सामान चंदवा, माला, ठोसामाला, करंजफूल, हसली, बहुटा, पैरी, बेराहाथ आदि को भी संरक्षित किया गया है। संग्राहलय में चिम्टा, झटिया, चुना रखने के लिए गझुआ, खड़रू, धान रखने के लिए, नमक रखने के लिए बटला, और खटंनशी नगेड़ा, प्राचीन उपकरणों ब्लेड, स्क्रेपर, पाईट, सेल्ट, रिंगस्टोन रखा गया है।