CG News: छत्तीसगढ़ सरकार की सख्ती के बाद डॉक्टरों में नाराजी है। सरकार ने डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर अगस्त से बैन लगा दिया है। उसके बाद पहली बार डॉक्टरों के वेतन में जब कटौती की गई तो उनमें से भिलाई के चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के 6 सीनियर डॉक्टरों ने एक साथ इस्तीफा सौंप दिया है। इससे स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ हैं। हालांकि, अब तक 9 सरकारी डॉक्टर नियम के लागू करने पर इस्तीफा दे चुके (CG News) हैं।
इस्तीफा देने वालों में कॉलेज के विभागाध्यक्ष भी
जानकारी के अनुसार इस्तीफा देने वाले सभी डॉक्टर सीनियर और चंदूलाल चंद्राकर शासकीय मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन, सर्जरी, शिशु रोग, स्त्री रोग, निषचेतना और रेडियोलॉजी जैसे अहम विभाग के विभागाध्यक्ष हैं। इस्तीफा देने वालों में तीन सीनियर रेजिडेंट के नाम भी शामिल (CG News) हैं।
22 अगस्त को निकला था प्राइवेट प्रैक्टिस पर बैन का आदेश
आपको बता दें कि 22 अगस्त 2024 को लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्रालय छत्तीसगढ़ शासन से आदेश हुआ था। जिसमें विशेष सचिव चंदन कुमार द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट लिखा था कि जो भी डॉक्टर शासकीय मेडिकल कॉलेज या अस्पताल में सेवारत हैं वे अब निजी या दूसरे अस्पतालों में प्रैक्टिस नहीं कर (CG News) पाएंगे।
विशेष सचिव ने सभी संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं और आयुक्त चिकित्सा शिक्षा को आदेश कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए थे।
इस आदेश के जारी होने के बाद पूरे स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया था। आदेश में जो नियम बनाए गए थे उसके मुताबिक कोई भी शासकीय डॉक्टर चाह कर भी निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकता है। इस आदेश की हद में कुछ डॉक्टर आ गए और उनके वेतन में 20 प्रतिशत की कटौती कर दी गई। इससे नाराज होकर डॉक्टरों ने शासकीय संस्थानों से इस्तीफा देना शुरू कर दिया (CG News) है।
इस वजह से डॉक्टर दे रहे इस्तीफा
- छत्तीसगढ़ में कुछ ही वर्षों में कई मेडिकल कॉलेज खुलने से डॉक्टरों की कमी हुई, सरकार ने प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स को सरकारी नौकरी के लिए बुलाया।
- डॉक्टर्स को संविदा में नियुक्त दी गई, जिसके तहत उनके साथ केवल 1 साल का अनुबंध किया गया। साथ ही अवधि खत्म होने के बाद नौकरी बची रहने का कोई आश्वासन भी नहीं दिया गया।
- नियम में यह है कि यदि कोई नियमित डॉक्टर आ जाए तो संविदा कर्मी को तुरंत बर्खास्त कर दिया जाएगा।
- इस वजह से संविदा डॉक्टर्स प्राइवेट प्रैक्टिस बंद नहीं करना चाहते क्योंकि उन्हें नौकरी का कोई आश्वासन नहीं है।
- प्राइवेट प्रैक्टिस के नाम पर सरकार ने 20 प्रतिशत वेतन पहले ही काट लिया है, और उसके बाद भी प्राइवेट हस्पतालों का पंजीयन रद्द करने की धमकी दी जा रही है।
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- प्राइवेट हस्पतालों में वेतन सरकारी के तुलना में 2 से 3 गुना अधिक (CG News) है।
- सरकारी अस्पतालों में कोई सुविधा नहीं है। वहां ऑपरेशन थिएटर, ओपीडी, प्रोसीजर रूम में उपकरणों की कमी के बाद भी उन्हें काम करना पड़ता है।सरकारी अफसरशाही के सामने संविदा डॉक्टरों की बिलकुल भी नहीं सुनी जाती है।
- विभिन्न क्षेत्रों के सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स शहर में 1 या 2 ही हैं, वो ही घूम-घूम के सभी जगह अपनी सेवा प्रदान करते हैं, यदि उन्हें 1 जगह बांध दिया जाएगा तो बाकी सभी क्षेत्रों में परेशानी हो जाएगी।
- NPA काटने के बाद भी डॉक्टरों को प्राइवेट अस्पतालों में प्रैक्टिस नहीं करने दिया जाता (CG News) है।
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