Toolkit controversy: आसान भाषा में समझें कि ‘टूलकिट विवाद’ क्या है और इसकी चर्चा क्यों हो रही है?

नई दिल्ली। भारत में पहली बार टूलकिट (Toolkit) की चर्चा किसान आंदोलन के दौरान हुई थी। जब बेंगलुरू की पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि (Disha Ravi) को गिरफ्तार कर लिया गया था। एक बार फिर से टूलकिट चर्चा में है। इस बार बीजेपी ने कांग्रेस पर कथित रूप से टूलकिट जारी करने और पीएम मोदी को बदनाम करने के कोरोना महामारी को इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
मामला क्या है?
भाजपा के इस आरोप के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुनील अहिरे ने बताया कि ट्विटर पर बीजेपी नकली टूलकिट का प्रचार कर रही है और इसका श्रेय AICC अनुसंधान विभाग को दे रही है। ऐसे में पार्टी ने जेपी नड्डा और संबित पात्रा के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज करवाया है। कांग्रेस के इस FIR के बाद टूलकिट एक बार फिर से चर्चा में है। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर ये टूलकिट क्या है?
क्या है टूलकिट
दरअसल, टूलकिट को अगर हम आसान भाषा में समझें तो ये एक प्रकार का गूगल डॉक्यूमेंट (Google document) होता है। जिसमें विस्तार से किसी खास मुद्दे के बारे में बताया जाता है। ताकी लोग उसे पढ़कर आसानी से समझ सकें कि आखिर देश या समाज में जो ज्वलंत मुद्दा चल रहा है वह क्यों चल रहा है। साथ ही साथ इसमें ये भी बताया जाता है कि अगर कोई समस्या है तो इसके समाधान के लिए हम क्या-क्या कर सकते हैं।
आंदोलनों को चलाने के लिए टूलकिट का इस्तेमाल किया जाता है
इस किट में एक्शन प्वाइंट्स लिखे जाते हैं। ताकि कोई भी इंसान उसको फॉलो करके आंदोलन के साथ जुड़ सकता है। खासकर टूलकिट का इस्तेमाल सोशल मीडिया के लिए किया जाता है। इसमें कैंपेन स्ट्रैटजी के अलावा किसी आंदोलन या प्रदर्शन को कैसे किया जाए इसके तहत जानकारी दी जाती है। दुनिया में इस वक्त कई आंदोलन चल रहे हैं। इन सभी आंदोलनों को टूलकिट के माध्यम से ही चलाया जा रहा है। चाहे वो ब्लैक लाइव्स मैटर हो या अमेरिका का एंटी-लॉकडाउन प्रोटेस्ट सभी आंदोलन में टूलकिट का इस्तेमाल किया गया है।