भोपाल। अंग्रेजों ने भारत पर कई वर्षों तक राज किया। इस दौरान उन्होंने देश को गुलामी की जंजीरों में कैद कर लिया। अंग्रेजों ने न केवल सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश को लूटा। बल्कि उसने हमारी संस्कृति को भी नुकसान पहुंचाया। हालांकि कुछ अंग्रेज ऐसे भी थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति को अपनाया भी। आज हम एक ऐसे ही अंग्रेज की बात करने वाले हैं जिन्होंने भारत में मंदिर का निर्माण कराया और आज यह एक इकलौता मंदिर है जिसे किसी अंग्रेज ने बनवाया था।
अंग्रेज का कहना था कि भगवान शंकर ने उसकी रक्षा की
हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के आगर मालवा (Agar Malwa) जिल में स्थत बैजनाथ मंदिर (Baijnath Temple) की। इस मंदिर को साल 1883 में एक अंग्रेज दंपति ने बनवाया था। मीडिया रिपोर्ट की माने तो अंग्रेज, लेफ्टिनेंट कर्नल सी.मार्टिन अफगानों से युद्ध करने के लिए गया था और सही सलामत लौट कर आ गया। आने के बाद अंग्रेज का कहना था कि भगवान शंकर ने योगी का भेष बनाकर उसकी रक्षा की थी। दरअसल, मार्टिन मध्य भारत में पोस्टेड था और उसे अफगानों से लड़ने के लिए बॉर्डर पर भेजा गया था।
अंग्रेज की पत्नी करती थी शिव की पूजा
बॉर्डर पर जाने के बाद वो अक्सर अपनी पत्नी को चिट्ठी लिखा करता था। लेकिन कुछ समय बाद अचानक से चिट्ठी आनी बंद हो गई। उधर बॉर्डर पर अफगान, अंग्रजों पर भारी पड़ रहे थे। इधर मार्टिन की पत्नी की चिंतायें भी बढ़ रही थीं। एक दिन जब वो बैजनाथ मंदिर के पास से गुजर रही थी तो शंख और घंटियों की आवाज सुनकर वो मंदिर के भीतर पहुंच गई। वहां उसने ब्राह्मणों को अपनी समस्या बताई। इस पर उन्होंने कहा कि मैडम आप परेशान मत होईए भगवान शिव सबकी सुनते हैं। ब्राह्मणों ने उसे 11 दिनों तक ‘लघुरूद्री अनुष्ठान’ करने को कहा। मार्टिन की पत्नी ने ठीक वैसा ही किया और भगवान शिव से मन्नत मांगी कि अगर उसका पति लौट कर आ जाएगा तो वो मंदिर को दोबारा बनवायेगी। अनुष्ठान के ठीक 11वें दिन उसे अपने पति की चिट्ठी मिली और उसे पता चला कि अंग्रेज़ युद्ध जीत गये हैं और उसका पति सही-सलामत है।
मार्टिन को युद्ध के मैदान में एक योगी मिले थे
वहीं जब सी.मार्टिन युद्ध से लौटकर आया तो उसने बताया कि उसे वहां बाघ के छाल में त्रिशूल लिये एक योगी मिला था। युद्ध के दौरान अफगानों ने उसके कई साथियों को अपने कब्जे में कर लिया था। ऐसे में योगी ने अफगानों पर धावा बोल दिया। जिसके बाद उन्हें पीछे हटना पड़ा और तब जाकर अंग्रेजों की जान बच पाई। सी.मार्टिन का मानना था कि पत्नी की पूजा और भक्ति के कारण ही साक्षात भगवान शिव ने उसे बचाया था।
मंदिर निर्माण के लिए 15 हजार रुपये दान दिया था
अपने किए गए दावे के अनुसार दंपति ने तब मंदिर के पुनर्निमाण के लिए 15000 रूपये दान दिए थे। अगर आप आज भी मंदिर में जाएंगे तो वहां के पत्थरों पर ये सब लिखा हुआ है। स्थानीय लोग भी इस कहानी को सच्च मानते हैं।