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म्यांमार। म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 38 लोग मारे गए. स्विट्जरलैंड में संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान 38 लोग मारे गए. यह आंकड़ा इस संबंध में मिलीं अन्य रिपोर्टों से मेल खाता है, लेकिन देश के भीतर इन आंकड़ों की पुष्टि करना मुश्किल है. राष्ट्र की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानेर बर्गनर ने कहा कि म्यांमा में सत्ता हथियाने वाले जनरलों ने संकेत दिया है कि वे नए प्रतिबंधों से डरते नहीं हैं, लेकिन सैन्य शासन कायम करने की उनकी योजना को लेकर देश में हो रहे विरोध से वे ‘‘सकते में’’ हैं। बर्गनर ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि एक फरवरी को सैन्य तख्तापलट के बाद उन्होंने म्यांमा की सेना को चेतावनी दी थी।
तानशाही नहीं चाहते लोग
बर्गनर ने कहा कि तख्तापलट के खिलाफ विरोध का नेतृत्व युवा कर रहे हैं, जो पिछले 10 साल से आजाद माहौल में रह रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘वे संगठित और प्रतिबद्ध हैं, वे तानशाही नहीं चाहते और न ही अलग-थलग होना चाहते हैं।’’ बर्गनर ने कहा, ‘‘सेना ने मुझे अपनी योजना बताई थी कि वे लोगों को डराएंगे, उन्हें गिरफ्तार करेंगे और फिर अधिकतर लोग डर कर घर चले जाएंगे। इसके बाद फिर से सेना का नियंत्रण होगा और लोग हालात के आदी हो जाएंगे।
सेना ने चुनाव नतीजे मानने से इनकार किया
तख्तापलट को लेकर हो रहे विरोध से सेना सकते में है। बर्गनर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सेना सकते में हैं, क्योंकि इस बार उसकी योजना सफल नहीं हुई, जबकि 1988, 2007 और 2008 में अतीत में वह सफल रही थी।’’ गौरतलब है कि म्यांमा में सेना ने एक फरवरी को तख्तापलट कर देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी। सेना का कहना है कि देश में आंग सान सू ची की निर्वाचित असैन्य सरकार को हटाने का एक कारण यह है कि वह व्यापक चुनावी अनियमितताओं के आरोपों की ठीक से जांच करने में विफल रही।
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