Vaccination: कोरोना के खिलाफ जंग का आगाज, भावुक हुए PM, बोले- कोरोना काल में कई साथी अस्पताल गए तो लौटे ही नहीं
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Corona Vaccination in India: वैक्सीन को लेकर महीनों के इंतजार को खत्म करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ी जंग का आगाज कर दिया है। पीएम मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत करते हुए लोगों से अपील की है कि, कोरोना वैक्सीन की दो डोज लगनी बहुत जरूरी है। देशवासियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी भावुक (PM Modi Gets Emotional) भी हो गए।
#WATCH | PM Narendra Modi gets emotional while talking about the hardships faced by healthcare and frontline workers during the pandemic. pic.twitter.com/B0YQsqtSgW
— ANI (@ANI) January 16, 2021
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, इस बमारी ने लोगों को अपने घर से दूर रखा। माताएं बच्चों के लिए रो रही थीं, लेकिन अपने बच्चों के पास नहीं जा सकती थीं। अस्पताल में भर्ती अपने घर के बुजुर्गों से भी लोग नहीं मिल सकते थे। हमारे कई साथी इस बीमारी की चपेट में आकर हमसे दूर चले गए। रीति रिवाज के साथ लोगों का अंतिम संस्कार भी नहीं किया जा सका। पीएम ने कहा, कोरोना काल में हमारे कई साथी जो बीमार होकर अस्पताल गए वो लौटे ही नहीं पाए।
This disease kept people away from their families. The mothers cried for their children & had to stay away. People could not meet their elderly admitted at hospitals. We could not bid adieu to those with proper rituals who died due to corona: PM Modi pic.twitter.com/kGVxwM0bZz
— ANI (@ANI) January 16, 2021
पीएम ने कहा, कोरोना वैक्सीन की दो डोज लगनी बहुत जरूरी है। एक डोज ले लिया और दूसरी भूल गए, ऐसी ग़लती मत करना। पहली और दूसरी डोज के बीच लगभग एक महीने का अंतराल भी रखा जाएगा। दूसरी डोज़ लगने के 2 हफ्ते बाद ही आपके शरीर में कोरोना के विरुद्ध ज़रूरी शक्ति विकसित हो पाएगी। इतिहास में इतने बड़े स्तर का टीकाकरण अभियान पहले कभी नहीं चलाया गया है। दुनिया के 100 से भी ज्यादा ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या 3 करोड़ से कम है। और भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है।
जिसे सबसे ज़्यादा ज़रूरी है, उसे सबसे पहले कोरोना का टीका लगेगा: पीएम pic.twitter.com/I07cnogFx3
— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) January 16, 2021
पीएम ने कहा, ‘दूसरे चरण में हमें इसको 30 करोड़ की संख्या तक ले जाना है। जो बुजुर्ग हैं, गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें इस चरण में टीका लगेगा। आप कल्पना कर सकते हैं, 30 करोड़ की आबादी से ऊपर के दुनिया के सिर्फ तीन ही देश हैं- खुद भारत, चीन और अमेरिका। हमारे वैज्ञानिक और विशेषज्ञ जब दोनों मेड इन इंडिया वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभाव को लेकर आश्वस्त हुए, तभी उन्होंने इसके इमरजेंसी उपयोग की अनुमति दी। इसलिए देशवासियों को किसी भी तरह के प्रोपेगेंडा, अफवाहें और दुष्प्रचार से बचकर रहना है। भारत के वैक्सीन वैज्ञानिक, हमारा मेडिकल सिस्टम, भारत की प्रक्रिया की पूरे विश्व में बहुत विश्वसनीयता है। हमने ये विश्वास अपने ट्रैक रिकॉर्ड से हासिल किया है।’
कोरोना से हमारी लड़ाई आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की रही है।
इस मुश्किल लड़ाई से लड़ने के लिए हम अपने आत्मविश्वास को कमजोर नहीं पड़ने देंगे, ये प्रण हर भारतीय में दिखा।
– पीएम @narendramodi #LargestVaccineDrive pic.twitter.com/6s6dRBnOn2
— BJP (@BJP4India) January 16, 2021
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा…
- कोरोना से हमारी लड़ाई आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की रही है। इस मुश्किल लड़ाई से लड़ने के लिए हम अपने आत्मविश्वास को कमजोर नहीं पड़ने देंगे, ये प्रण हर भारतीय में दिखा।हर हिंदुस्तानी इस बात का गर्व करेगा की दुनिया भर के करीब 60% बच्चों को जो जीवन रक्षक टीके लगते हैं, वो भारत में ही बनते हैं। भारत की सख्त वैज्ञानिक प्रक्रियाओं से होकर ही गुजरते हैं।
- भारतीय वैक्सीन विदेशी वैक्सीन की तुलना में बहुत सस्ती हैं और इनका उपयोग भी उतना ही आसान है। विदेश में तो कुछ वैक्सीन ऐसी हैं जिसकी एक डोज 5,000 हजार रुपये तक में हैं और जिसे -70 डिग्री तापमान में फ्रीज में रखना होता है।
- भारत की वैक्सीन ऐसी तकनीक पर बनाई गई है जो भारत में tried और tested है। ये वैक्सीन स्टोरेज से लेकर transportation तक भारतीय स्थितियों और परिस्थितियों के अनुकूल हैं। यही वैक्सीन भारत को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक जीत दिलाएगी।
- संकट कितना भी बड़ा क्यों न हो, देश वासियों ने कभी आत्मविश्वास खोया नहीं। जब भारत में कोरेाना पहुंचा तब देश में कोरोना टेस्टिंग की एक ही लैब थी, हमने अपने सामर्थ्य पर विश्वास रखा और आज 2,300 से ज्यादा नेटवर्क हमारे पास है। हम दूसरों के काम आएं, ये निश्वार्थ भाव हमारे भीतर रहना चाहिए। राष्ट्र सिर्फ मिट्टी, पानी, कंकड़, पत्थर से नहीं बनता। बल्कि राष्ट्र का मतलब होता है हमारे लोग।
- भारत ने 24 घंटे सतर्क रहते हुए, हर घटनाक्रम पर नजर रखते हुए, सही समय पर सही फैसले लिए। 30 जनवरी को भारत में कोरोना का पहला मामला मिला, लेकिन इसके दो सप्ताह से भी पहले भारत एक हाई लेवल कमेटी बना चुका था।
- 17 जनवरी, 2020 वो तारीख थी, जब भारत ने अपनी पहली एडवायजरी जारी कर दी थी। भारत दुनिया के उन पहले देशों में से था जिसने अपने एयरपोर्ट्स पर यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी। जनता कर्फ्यू, कोरोना के विरुद्ध हमारे समाज के संयम और अनुशासन का भी परीक्षण था, जिसमें हर देशवासी सफल हुआ। जनता कर्फ्यू ने देश को मनोवैज्ञानिक रूप से लॉकडाउन के लिए तैयार किया।
- ऐसे समय में जब कुछ देशों ने अपने नागरिकों को चीन में बढ़ते कोरोना के बीच छोड़ दिया था, तब भारत, चीन में फंसे हर भारतीय को वापस लेकर आया। और सिर्फ भारत के ही नहीं, हम कई दूसरे देशों के नागरिकों को भी वहां से वापस निकालकर लाए। एक देश में जब भारतीयों को टेस्ट करने के लिए मशीनें कम पड़ रहीं थीं तो भारत ने पूरी लैब भेज दी थी ताकि वहां से भारत आ रहे लोगों को टेस्टिंग की दिक्कत ना हो।