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MP Miracle Jain Temple: विश्व में जैन धर्म को अहिंसा, दया और भावना का धर्म माना जाता है. जैन धर्म में जीव हत्या, किसी को परेशान करना या किसी के प्रति राग द्वेष करना गलत या पाप माना गया है. कई लोगों का मानना है कि जैन धर्म विज्ञान की बारीकियों की तरफ ज्यादा आकर्षित है.
इस धर्म के लोग अपने आराध्य के रूप में 24 तीर्थंकर को मानते हैं. वैसे तो देश में बहुत सारे जैन अतिशय क्षेत्र हैं. लेकिन अगर आप मध्यप्रदेश के वासी हैं तो आप रायसेन जिले के बरेली तहसील के खरगोन गांव में तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा के दर्शन कर सकते हैं.
जानकारी के अनुसार खरगोन गांव में इमली के पेड़ के नीचे बरसों से भगवन आदिनाथ की प्रतिमा विराजमान है.
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मात्र दर्शन से दूर होते हैं कष्ट
खरगोन गांव के स्थानियों का मानना है कि यह प्रतिमा कई पीढ़ियों से इमली के पेड़ के नीचे विराजमान है. स्थानियों का कहना है कि उनकी कई पीढियां गुजर गयीं जब से ही यह प्रतिमा यहाँ पर विराजित है. उनका मानना था कि उनके दादा और पिता के ज़माने से पहले से भी यह प्रतिमा यहां पर है.
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जिससे अंदाज़ा लगाया जाता है कि करीब 3000 साल पुरानी है. जिस पेड़ के नीचे भगवान विराजमान थे उसके बाजू में रहने वाले प्रेम शंकर ने बताया कि मोहल्ले के सभी लोग भगवान को खोने वाले बाबा के नाम से पुकारते और पूजा करते हैं.
इतना ही नहीं प्रतिमा के दर्शन भर और प्रसाद चढ़ाने से मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं के भी कष्ट मिट जाते हैं. आचार्य कुलरत्न भूषण जी महाराज का मानना है कि यह प्रतिमा अतिशयकारी है क्योंकि प्रतिमा के आगे और पीछे के तरफ सिंह यानी शेर का चिन्ह बना हुआ है.
साथ ही यह प्रतिमा पूर्व मुखी है जिस वजह से कोई भी मनोकामना करने पर पूरी हो जाती है.
कहां पर स्तिथ है प्रतिमा
मध्यप्रदेश के रायसेन जिले को बरेली तहसील से निकलने वाले नेशनल हाईवे पर स्तिथ ग्राम खरगोन या पुराना खरगोन में अतिशय क्षेत्र है. तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की चमत्कारी प्रतिमा खरगोन गांव के धाकड़ मोहल्ले में इमली के पेड़ के नीचे विराजमान है.
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कुछ समय पहले जैन धर्म के मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने नेमावर जाते समय इस अतिशय प्रतिमा के दर्शन किए थे. साथ ही उन्होंने इस प्रतिमा का पूजन, विधान और जीर्णोद्धार कार्य प्रारंभ करवाया था.
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