Neeti Aayog report: देश में बीते 9 सालों में बड़ी आबादी को गरीबी से उबारने वाले राज्यों में उत्तरप्रदेश और बिहार के बाद अब मध्यप्रदेश 3 नंबर पर है।
बता दें,कि देशभर में 24.84 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। इनमें से 2.30 करोड़ MP के हैं।
गरीबी को हराने वालों में सबसे ज्यादा 5.94 करोड़ लोग उत्तरप्रदेश के है। 3.77 करोड़ लोग बिहार के और 1.87 करोड़ लोगों के साथ राजस्थान चौथे नंबर पर है।
दिन में 180 रु. से कम कमाने वालों को विश्व बैंक ने गरीबी रेखा से नीचे माना है। 18.73% आबादी 2017 में गरीब थी, जो 2021 में 11.90 प्रतिशत रह गई।
डिस्कशन पेपर किया जारी
दिल्ली में नीति आयोग (Neeti Aayog report) के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद्र ने नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम की मौजूदगी में डिस्कशन पेपर ‘मल्टी डायमेंशनल पॉवर्टी इन इंडिया सिंस 2005-06’ के आधार पर जारी किया है।
जिसमें साल 2013-14 की स्थिति देश में क्या रही देश में गरीब आबादी के अनुपात और 2022-23 में आबादी के अनुपात का तुलना की गई है।
इस डिस्कस पेपर को ऑक्सफोर्ड नीति और मानव विकास पहल (OPHI) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया है।
साल 2005-06 से साल 2015-16 की अवधि में 7.69% की वार्षिक दर से गरीबी घट रही थी। जबकि 2015-16 से 2019-20 की अवधि में गरीबी में साल की गिरावट दर तेज होकर 10.66% पहुंच गई थी।
यदि इसी दर से लोग गरीबी रेखा से बाहर आते रहे तो आने वाले साल 2030 तक भारत बहुआयामी गरीबी को आधा करने में अपने SDG लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा।
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सरकारी योजनाओं की रही अहम भूमिका
बता दें, कि सबसे कमजोर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सरकारी योजनाओं की बहुत अहम भूमिका रही है। देश में गरीबी घटने के कारणों में तमाम योजनाएं आगे रहीं।
पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, उज्ज्वला योजना, सौभाग्य बिजली योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन, PM जन धन योजना और PM आवास योजना के योगदान रहा।
41% आबादी के पास अभी भी नहीं है घर, 31% लोग टायलेट सुविधा से वंचित
रिपोर्ट के अनुसार, देश में 41.3% लोग अभी भी बेघर हैं। देश में चल रहे स्वच्छ भारत अभियान के बावजूद भी 31% परिवार टायलेट से वंचित हैं। चल रहे तमाम अभियानों के बाद भी 44% को अभी तक रसोई गैस नहीं हैं।
20 सालों में अभी तक सिर्फ 14.61% लोगों को ही घर मिला है। इस आकलन की रिपोर्ट 12 मानकों के आधार पर बनाकर तैयार की है।
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