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CG Naxal Surrender
हाइलाइट्स
- 21 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
- 18 हथियार पुलिस को किए जमा
- “पूना मार्गेम” योजना से मिली प्रेरणा
CG Naxal Surrender : बस्तर रेंज में नक्सल उन्मूलन की दिशा में राज्य सरकार और सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में रविवार को 21 नक्सली कैडरों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया। आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों ने अपने पास मौजूद 18 हथियार पुलिस के सुपुर्द किए, जिनमें एके-47, एसएलआर और इंसास राइफलें शामिल हैं।
यह आत्मसमर्पण राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी पहल “पूना मार्गेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन” के तहत हुआ, जो नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति, सुरक्षा और विकास की नई राह खोलने वाला साबित हो रहा है।
केशकल डिवीजन के नक्सली कैडर लौटे समाज की ओर
जानकारी के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादी केशकल डिवीजन (नॉर्थ सब-जोनल ब्यूरो) के कुएमारी और किसकोडो एरिया कमेटी से जुड़े थे। इनमें संगठन का वरिष्ठ डिवीजन कमेटी सेक्रेटरी “मुकेश” भी शामिल है, जो लंबे समय से सक्रिय नक्सली के रूप में पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज था।
इन 21 नक्सलियों में 4 डिवीजन वाइस कमेटी मेंबर (DVCM), 9 एरिया कमेटी मेंबर (ACM) और 8 सामान्य सदस्य शामिल हैं। इनमें से 13 महिलाएं और 8 पुरुष हैं, जिन्होंने वर्षों की हिंसक गतिविधियों को त्यागकर समाज की ओर लौटने का फैसला किया।
18 हथियार किए गए जमा
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने पुलिस के सामने जिन हथियारों को जमा किया है, उनमें 3 एके-47 राइफलें, 4 एसएलआर राइफलें, 2 इंसास राइफलें, 6 .303 राइफलें, 2 सिंगल शॉट गन और 1 बीजीएल (BGL) लॉन्चर शामिल हैं।
सुरक्षा बलों ने बताया कि नक्सलियों ने न सिर्फ हथियार छोड़े हैं, बल्कि अपने संगठन की हिंसक और जनविरोधी विचारधारा को भी त्याग दिया है। उनके पुनर्वास और सामाजिक समावेशन की प्रक्रिया तत्काल शुरू कर दी गई है।
“पूना मार्गेम” योजना बनी बदलाव की राह
राज्य सरकार की पुनर्वास नीति “पूना मार्गेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन” नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बदलाव की सबसे बड़ी ताकत बन रही है। इस योजना का उद्देश्य नक्सली हिंसा में फंसे युवाओं को शिक्षा, रोजगार और सामाजिक पुनर्वास के माध्यम से नई शुरुआत का अवसर देना है।
पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि इस योजना के चलते सैकड़ों माओवादी बीते महीनों में मुख्यधारा में लौट चुके हैं, जिससे बस्तर और आसपास के इलाकों में शांति और विकास की बयार बह रही है।
अधिकारियों ने कहा- यह बाकी युवाओं के लिए प्रेरणा
बस्तर रेंज के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि यह आत्मसमर्पण सिर्फ नक्सलियों के लिए नहीं, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी ऐसे युवाओं का स्वागत करती है जो हथियार छोड़कर शिक्षा, रोजगार और सम्मानजनक जीवन की राह अपनाना चाहते हैं। “पूना मार्गेम योजना सिर्फ पुनर्वास नहीं, बल्कि एक नए जीवन की शुरुआत है,” अधिकारी ने कहा।
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