नई दिल्ली। कल यानि 2 Nov Dhanteras 2021 Shubh Muhurat मंगलवार 2 नवंबर को धन तेरस है। दीपावली उत्सव पर धनतेरस का दिन खरीदारी के लिए खास माना जाता है। इस दिन से दीपोत्सव की शुरुआत हो जाती है। इस दिन नई चीजों को खरीदने की परंपरा है। वहीं यदि शुभ मुहूर्त में खरीदारी करें तो इसका फल और अधिक बढ़ जाता है। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस दिन बन रही तीन ग्रहों की युति के अलावा बनने वाला खास त्रिपुष्कर योग धनतेरस को खास बना रहा है।
त्रिपुष्कर योग में शुभ है सोना-चांदी खरीदना (Tripushkar Yoga 2021 on Dhanteras)
ज्योतिषाचार्य रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार धनतेरस के दिन बन रहा त्रिपुष्कर योग आपके द्वारा किए गए हर कार्य को शुभ बनाएगा। जो भी काम करेंगे आपको उसका तीन गुना फल मिलेगा। इसलिए आप कोशिश करें कि कोई गलत और बुरा काम इस दिन न करें। धनतेरस के दिन सोना-चांदी खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन सोना—चांदी में निवेश करने का भी अच्छा मौका है। इस दिन धनतेरस पर बनने वाली तीन ग्रहों की युति इसे खास बना रही है।
इन तीन ग्रहों की बन रही युति
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो धनतेरस पर सूर्य, मंगल और बुध तीनों ग्रह एक साथ तुला राशि में विराजमान होंगे। इसके अलवा वहीं इस दिन हस्त नक्षत्र बन रहा है। मंगलवार को हस्त नक्षत्र का योग सुबह 11:43 बजे से शुरू होकर देर रात तक रहेगा। ये नक्षत्र वैसे तो सभी के लिए शुभ रहेगा लेकिन व्यापारियों द्वारा इस नक्षत्र में खरीदारी से विशेष लाभ होगा।
खरीदारी का शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2021 Shopping subh muhurat) —
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि त्रिपुष्कर योग मंगलवार और द्वादशी तिथि के संयोग से बनता है. द्वादशी तिथि 1 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 21 मिनट से और 2 नवंबर सुबह 11:30 तक रहेगी. इसलिए इस योग का लाभ सिर्फ 2 नवंबर को 11 बजकर 30 मिनट तक मिलेगा. वहीं ध्यान ये रखें कि 2 नवंबर को सुबह 6 बजकर 34 मिनट से 11 बजकर 30 मिनट शॉपिंग कर लें. इसके बाद आप शाम को शाम को 6 बजकर 18 मिनट से रात को 10 बजकर 21 मिनट तक रहेगा.
धनतेरस का शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2021 Shubh Muhurt) —
वैसे तो धनतेरस का पूजन गौधुली बेला में शाम 4 से 7 के बीच किया जाना चाहिए। प्रदोष काल में कलश स्थापना कर पूजन किया जाना शुभ माना जाता है। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 4 बजे से शाम 7 बजे तक रहेगा। फिर भी जान लें कब है प्रदोष और वृषभ काल।
2 नवंबर धनतेरस —
प्रदोष काल शाम 5:37 से रात 8:11 मिनट
वृषभ काल शाम 6.18 से रात 8.14 मिनट
धनतेरस पर पूजन का शुभ मुहूर्त —
शाम 6.18 मिनट से रात 8.14 मिनट
क्यों मनाया जाता है धनतेरस-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन समुद्र मंथन से प्रभु धन्वंतरि हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। तब उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। भगवान धनवंतरि को चिकित्सकों का देवता माना जाता है। इस तिथि को धन्वंतरि जयंती या धन त्रयोदशी के नाम से भी जानते हैं। पंडित सनत कुमार खम्परिया के अनुसार जो व्यक्ति इस दिन भगवान धनवंतरि का पूजन करता है उस वर्ष भर आरोग्यता मिलती है। साथ ही इस दिन बर्तन और गहने आदि की खरीदारी करना भी महत्व है।