Gyaraspur Temple: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 100 किलोमीटर दूर बसी ग्यारसपुर शहर में अब तक जिसे बाजरा मठ कहते थे, वो प्राचीन सूर्य मंदिर निकला। इस मंदिर को 13वीं शताब्दी के आसपास बनाया गया था। यह प्राचीन मंदिर कोणार्क के सूर्य मंदिर और खजुराहो के मंदिरों के समकालीन है। मंदिर को देखकर परमार और प्रतिहार वंश की झलक मिलती है। बता दें कि अब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इसका संरक्षण करने जा रहा है। इसको लेकर पुरातत्वविदों की टीम ने काम शुरू कर दिया है। फिलहाल अभी मंदिर जीर्ण-शीर्ण हालत में है। पत्थरों से बने इस मंदिर की ऊंचाई करीब सात मीटर है।
खास बात है कि इस मंदिर को पत्थर के प्लेटफार्म पर बनाया गया है। मंदिर की प्रतिमाओं को क्षतिग्रस्त अवस्था में है जिसके चलते मंदिर के अंदर पानी आने से मंदिर का ढांचा कमजोर हो गया है। बता दें कि मंदिर में भगवान सूर्य सात घोड़ों पर सवार हैं। इनके आजू-बाजू गंगा और यमुना हैं। इसके अलावा अन्य देवियों की प्रतिमाएं भी नजर आती हैं। यह उत्तरायण सूर्य के समय का मंदिर है, सूर्य की किरण मंदिर पर सीधे प्रवेश करती है।
सूर्य मंदिर के पास ही मालादेवी का मंदिर भी स्थित है। यहां लोग पूजा करने आते हैं। एएसआई के पुरातत्वविक मनोज कुमार कुर्मी बताते हैं कि हमने साइट का सर्वे किया है। हम मालादेवी मंदिर का भी संरक्षण करेगें। मुख्य शिलापट्ट के अनुसार पूर्व में यहां ब्रह्मा विष्णु महेश की मूर्तियां विराजित थीं। ऐसे 3 मन्दिर रातापानी अभ्यारण्य एबं एक बज्र मठ मन्दिर ग्यारसपुर में स्थित है।