नई दिल्ली: सीनियर वकील प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के (Prashant Bhushan Contempt Case) मामले में अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से दया दिखाने की गुहार लगाई। अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने अदालत की अवमानना मामले में प्रशांत भूषण (prashant bhushan) को कोई सजा नहीं की बात कही। इस पर कोर्ट ने उन्हें एक पुराना केस याद दिलाया जिसमें खुद वेणुगोपाल ने प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर की थी।
अटॉर्नी जनरल ने कहा- प्रशांत भूषण को सजा देने के जगह दया दिखाए कोर्ट, SC ने कहा- गलती का अहसास होना चाहिए
क्या कहा कोर्ट ने
प्रशांत भूषण की अवमानना मामले पर सुप्रीम कोर्ट (suprime court) में सुनवाई करते हुए कहा, प्रशांत भूषण को अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन वे अवमानना पर माफी नहीं मानना चाहते। व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास होना चाहिए। इन्हें इसके लिए समय भी दिया गया था लेकिन उन्होंने समय पर माफी मांगने से इंकार कर दिया।
क्या कहा अटॉर्नी जनरल ने
अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट को प्रशांत भूषण को चेतावनी देते हुए दया दिखानी चाहिए। कोर्ट ने वेणुगोपाल से पूछा कि भूषण ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट खत्म हो गया है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है?
एक अन्य मामला दूसरी बेंच पर
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के 2009 के अवमानना मामले को दूसरी बेंच के पास भेज दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह केवल सजा का नहीं, बल्कि संस्थाओं में विश्वास का भी मामला है। बता दें कि 11 साल पहले एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में प्रशांत भूषण ने कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी की थी।
जाने क्या है मामला
प्रशांत भूषण ने ट्वीट (prashant bhushan tweet) करके कहा था- ‘जब इतिहासकार भारत के बीते 6 सालों को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना इमरजेंसी के देश में लोकतंत्र खत्म किया गया। इसमें वे (इतिहासकार) सुप्रीम कोर्ट, खासकर 4 पूर्व सीजेआई की भूमिका पर सवाल उठाएंगे। अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने चीफ जस्टिस एसए बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक के साथ फोटो शेयर की थी और लिख था कि कोरोना दौर में अदालतों को बंद रखने का आदेश है।