भोपाल. स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री ( स्वतंत्र प्रभार ) इंदर सिंह परमार ने मंत्रालय में स्कूल शिक्षा विभाग की गतिविधियों की समीक्षा की। मंत्री परमार ने कहा कि शिक्षा विभाग का हर निर्णय और कार्ययोजना विद्यार्थी के हित में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुशिक्षित और सभ्य नागरिक ही किसी देश के विकास की कुंजी होते है। मंत्री ने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा और नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षा विभाग के सेट-अप में परिवर्तन की समीक्षा की। उन्होंने सीएम के तहत 10 हजार सर्वसुविधा सम्पन्न स्कूलों, नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षकों की पदपूर्ति और संसाधनों की आपूर्ति, स्कूलों की व्यवस्था आदि पर विस्तार से चर्चा की।
आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन लाने के लिये बुनियादी शिक्षा में सुधार के लिये भाषा और गणित की मूलभूत दक्षताओं में सुधार होना अत्यावश्यक है। इसके लिये प्रोजेक्ट अंकुर प्रारंभ किया जाएगा। इसके लिये छात्र कार्यपुस्तिका एवं शिक्षक कार्यपुस्तिका को नया स्वरूप दिया जाएगा। जीवंत और प्रिंट समृद्ध परिवेश वाली कक्षाएं जाएंगी। अभिभावकों की भागीदारी बढ़ाई जाएगी। आईटी आधारित बाह्य मूल्यांकन किया जाएगा।
शिक्षकों का प्रशिक्षण और व्यावसायिक उन्नयन
आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश योजना में स्कूल शिक्षा को गुणवत्तायुक्त बनाने के लिये शिक्षकों के प्रशिक्षण एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके लिये शिक्षण प्रशिक्षण संस्थानों को सुदृढ़ किया जाएगा एवं संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थानों के रूप में विकसित किया जाएगा। शिक्षकों की नियमित भर्ती की जायेगी।
नई शिक्षा नीति के तहत मध्यप्रदेश बनेगा अग्रणी राज्य
नई शिक्षा नीति के तहत मध्यप्रदेश को देश में अग्रणी राज्य बनाने के लिये कक्षा 6वीं से सीबीएसई की तर्ज पर कौशल आधारित पाठ्यक्रम निर्धारित किया जाएगा। गहन सोच जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजाइन थिंकिंग, कोडिंग आदि से संबंधित सह-शैक्षणिक पाठ्यक्रम शामिल किये जाएंगे।
प्रखर
नई शिक्षा नीति के तहत प्रतिभाशाली बच्चों के लिये विशेष योजना ‘प्रखर’ चलाई जाएगी। जिसमें ऐसे बच्चों को JEE, NEET, CLAT आदि के लिये 300 विद्यार्थियों को विशेष कोचिंग की व्यवस्था की जाएगी।
निजी शालाओं से संबंधित नीतिगत मुद्दे
राज्य के कुल 157 लाख विद्यार्थियों में से 42 प्रतिशत नामांकन निजी स्कूलों में होते हैं अत: निजी स्कूलों कुछ नीतिगत मुद्दों में सरकार का हस्तक्षेप रहेगा। निजी स्कूलों में भी शिक्षकों की मेरिट आधारित भर्ती होगी। प्रतिवर्ष शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित होगी। निजी स्कूलों में भी व्यवसायिक शिक्षा देना अनिवार्य होगा।