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Historical University: आज भी टिका हुआ है सालों पुराना विश्वविद्यालय, संगठनों ने उठाई आवाज

Historical University: आज भी टिका हुआ है सालों पुराना विश्वविद्यालय, संगठनों ने उठाई आवाज Historical University: Years old university still standing, organizations raised their voice

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Bansal News
Historical University: आज भी टिका हुआ है सालों पुराना विश्वविद्यालय, संगठनों ने उठाई आवाज

Historical University: बनारस में सालों पहले बना संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय आज भी टिका हुआ है। लेकिन उसके विकास करने को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जा रही है। 230 साल की धरोहर व ज्ञान समेटे विश्वविद्यालय परिसर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की तैयारियां जरूर है। लेकिन इसके साथ जरूरी है शिक्षा के क्षेत्र में भी इसे बढ़ावा दी जाए। इस वजह से कई संगठनों के द्वारा मांग की जा रही है कि इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाया जाए ताकि देश में संस्कृत को बढ़ावा मिल सके।

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आईए जानते है संपूर्णानंद को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की क्यों उठ रही है मांग

1. सबसे पुराना संस्कृत विश्वविद्यालय जिसे 1791 में स्थापित किया गया है।
2. सबसे बड़ा संपूर्ण भारत में फैला हुआ है ।
3. इसका प्रभाव संस्कृत के बड़े क्षेत्र पर होगा।
4. वर्तमान में इससे 618 महाविद्यालय से जुड़े हुए हैं ।
5. देश के 60000 बाहरी छात्र इससे परीक्षा दे रहे हैं ।
6. वर्तमान में 2500 छात्र इसके कैंपस में पढ़ रहे हैं
7. इस समय 104 विदेशी छात्र विभिन्न देशों से आकर पढ़ रहे हैं ।
8. यह गुरुकुलों/ पाठशालाओं में संस्कृत प्रचार प्रसार का अकेला संसाधन केंद्र है।
9. हजारों देशी विदेशी विद्वानों को पैदा करने वाला एकमात्र विश्वविद्यालय। इसके साथ ही
शास्त्रीय परंपरा का सर्वोत्तम रक्षक।
10.भारत को संस्कृत भाषा के लिए विश्व में पहचान देने वाला एकमात्र विश्वविद्यालय ।
11.शास्त्रीय विषयों के साथ आधुनिक विषयों के अध्ययन की सुविधा उपलब्ध कराने वाला विश्वविद्यालय।
12. भारतीय भाषाओं के साथ विदेशी भाषाओं को पढ़ाने की व्यवस्था उपलब्ध कराने वाला एकमात्र संस्कृत विश्वविद्यालय।
13. संपूर्ण देश के महाविद्यालयों और गुरुकुलों के छात्रों को संस्कृत की परीक्षाओं के लिए सुविधा देने वाला एकमात्र विश्वविद्यालय।

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यही वजह है कि संगठनों की मांग है कि सरकार को इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाना चाहिए। उनका कहना है कि संस्कृत के वास्तविक उत्थान के लिए यह आवश्यक है। विश्वविद्यालय की स्थापना सन 1791 में हुई थी। 22 मार्च 1958 को तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. संपूर्णानंद के प्रयत्न से इसे विश्वविद्यालय का स्तर प्रदान किया गया। उस समय इसका नाम वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय था। सन् 1974 में इसका नाम बदलकर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय रख दिया गया।

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