Wrestlers’ Protest: कुछ दिन पहले ही पहलवानों की टीम दिल्ली के जंतर मंतर पर धरने पर बैठ गई। तीन महीने बाद एक बार फिर पहलवानों ने उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से भाजपा सांसद और WFI अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 7 महिला रेसलर्स ने बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज करने की मांग की थी। हालांकि, पहलवानों की मांग पर दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया और मामले में शीर्ष अदालत का साथ भी मिला।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को मामले में नोटिस भेज FIR दर्ज न करने पर जवाब मांगा। यहां तक कि भारत के शीर्ष पहलवान बजरंग पुनिया ने आरोप लगाया कि अगर भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर लगाए गए आरोप गलत पाए जाते हैं तो पहलवान सजा भुगतने को तैयार हैं।
यौन उत्पीड़न के आरोपों के कारण पहलवान बृजभूषण को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं। वहीं न्याय मिलने की स्थिति में पुनिया और अन्य पहलवान धरना वापस लेने के लिए तैयार हैं।
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पीड़ितों को धमकी और रिश्वत दी जा रही
पहलवान बजरंग पुनिया ने कहा “वह कहते है कि वह निर्दोष है लेकिन पीड़ितों को धमकाया जा रहा है और वे पीड़ितों को रिश्वत देने की कोशिश कर रहे हैं, एक निर्दोष व्यक्ति इस तरह की गतिविधियों का सहारा नहीं लेता है। “
बृज भूषण पर पहलवानों ने लगाए ये आरोप
पहलवानों ने WFI चीफ पर यौन उत्पीड़न और अन्य आरोप लगाए हैं। महिला पहलवानों ने दावा किया है कि साल 2012 और 2022 के बीच उत्पीड़न की कुछ घटनाएं नई दिल्ली में बृज भूषण के आधिकारिक सांसद के बंगले पर हुई वहीं इसके अलावा घरेलू और विदेश दोनों प्रतियोगिताओं के दौरान भी पहलवानों का यौन उत्पीड़न हुआ।
क्या है प्रदर्शनकारी पहलवानों की मांगें?
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पहलवानों की तरफ से यह बात रखी गई कि पीड़ितों में से एक नाबालिग है। ऐसे में पहलवान मांग कर रहे हैं कि उनकी पुलिस शिकायत के आधार पर बृज भूषण के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए और उन्हें POCSO अधिनियम के अनुसार हिरासत में लिया जाए। इसके अतिरिक्त, उनका कहना है कि WFI को भंग कर दिया जाए और बृज भूषण को अध्यक्ष पद से हटा दिया जाए।
सरकार ने पहले से क्या कार्रवाई की है?
बता दें कि सरकार ने पहलवानों को अपना धरना खत्म करने के लिए बृज भूषण के खिलाफ आरोपों की जांच करने और WFI के दिन-प्रतिदिन के संचालन की देखरेख के लिए जनवरी में एक समिति का गठन किया था। बॉक्सिंग चैंपियन एमसी मैरीकॉम के नेतृत्व वाली छह सदस्यीय समिति के पास मामले में रिपोर्ट पेश करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया था। लेकिन समिति ने अप्रैल के पहले सप्ताह तक अपनी रिपोर्ट नहीं दी। तब से, समिति को भंग कर दिया गया है।
आगे क्या होगा?
मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार 28 अप्रैल को करेगा। पहलवानों के मुताबिक, जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती, वे धरना-प्रदर्शन करते रहेंगे।