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Varanasi News: दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा ने पूरा किये 114 वर्ष, कुंभ के दौरान प्रयागराज में हुई थी आरंभ

Varanasi News:  डाक सेवाओं ने पूरी दुनिया में एक लम्बा सफर तय किया है! दुनिया की पहली आधिकारिक हवाई डाक सेवा शुरु करने का सौभाग्य भारत को मिला था।

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Varanasi News: दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा ने पूरा किये 114 वर्ष, कुंभ के दौरान प्रयागराज में हुई थी आरंभ

(रिपोर्ट- अभिषेक सिंह- वाराणसी)

Varanasi News:  डाक सेवाओं ने पूरी दुनिया में एक लम्बा सफर तय किया है! दुनिया की पहली आधिकारिक हवाई डाक सेवा शुरु करने का सौभाग्य भारत को मिला था!  पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि यह ऐतिहासिक घटना 114 वर्ष पूर्व 18 फरवरी,1911 को प्रयागराज में हुई थी। संयोग से उस साल कुंभ का मेला भी लगा था,उस दिन फ्रेंच पायलट मोनसियर हेनरी पिक्वेट ने एक नया इतिहास रचते हुए विमान में प्रयागराज से नैनी के लिए 6500 पत्रों को अपने साथ लेकर उड़े थे! विमान था हैवीलैंड एयरक्राफ्ट और इसने दुनिया की पहली सरकारी डाक ढोने का एक नया दौर शुरू किया।

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यमुना नदी के किनारों से उड़ान भरी

विशेष विमान ने शाम में यमुना नदी के किनारों से उड़ान भरी और वह नदी को पार करता हुआ 15 किलोमीटर का सफर तय कर नैनी जंक्शन के नजदीक उतरा। प्रयागराज से नैनी जंक्शन तक का हवाई सफ़र आज से 114  साल पहले मात्र  13 मिनट में पूरा हुआ था। हालांकि यह उड़ान महज छह मील की थी,पर इस घटना को लेकर प्रयागराज में ऐतिहासिक उत्सव सा वातावरण था। ब्रिटिश एवं कालोनियल एयरोप्लेन कंपनी ने जनवरी 1911 में प्रदर्शन के लिए अपना एक विमान भारत भेजा था जो संयोग से तब प्रयागराज आया जब कुम्भ का मेला भी चल रहा था।

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हेनरी ने रचा इतिहास 

वह ऐसा दौर था जब जहाज देखना तो दूर लोगों ने उसके बारे में ठीक से सुना भी बहुत कम था! ऐसे में इस ऐतिहासिक मौके पर अपार भीड़ होना स्वाभाविक ही था। इस यात्रा में हेनरी ने इतिहास तो रचा ही पहली बार आसमान से दुनिया के सबसे बडे प्रयाग कुंभ का दर्शन भी किया। पहली बार हवाई मार्ग से कुछ मेल बैग भेजने के लिए डाक अधिकारियों से संपर्क किया जिस पर उस समय के डाक प्रमुख ने अपनी सहर्ष स्वीकृति दे दी! मेल बैग पर ‘पहली हवाई डाक’ और ‘उत्तर प्रदेश प्रदर्शनी, इलाहाबाद’ लिखा था।

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इस पर एक विमान का भी चित्र प्रकाशित किया गया था। इस पर पारंपरिक काली स्याही की जगह मैजेंटा स्याही का उपयोग किया गया था! 6,500 पत्रों को ले जाने का विशेष शुल्क छह आना रखा गया था और इससे होने वाली आय को आक्सफोर्ड एंड कैंब्रिज हॉस्टल,इलाहाबाद को दान में दिया गया।

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