हाइलाइट्स
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महिला दिवस पर ‘शी द वाइस स्टार’ कार्यक्रम
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महिलाओं ने सुनाईं अपने संघर्ष की कहानियां
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आदिवासी क्षेत्र से भी महिलाएं कार्यक्रम में पहुंचीं
World Women’s Day: भोपाल में आवाजों की कहानी “शी द वाइस स्टार” कार्यक्रम का आयोजन हुआ. जिसमें सभी महिलाओं ने अपने संघर्ष की कहानियां सुनाई.
इस शो में न कोई चीफ गेस्ट था न ही कोई न कोई औपचारिकता हुई. महिलाओं की कहानियों से कार्यक्रम शुरू हुआ और कहानियों का सिलसिला आगे बढ़ा.
कहानियों के इस पिटारे में अटूट जीजिविषा की कहानी, सकारात्मक जिद की कहानी, जमाना क्या सोचेगा की कहानी सुनने को मिली. महिला दिवस (world women’s day) पर आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन यूनिसेफ और गैर सरकारी संस्थान ‘वसुधा’ के द्वारा किया गया.
एमपी के कई जिलों से पहुंची महिलाएं
कार्यक्रम में भोपाल,धार,हरदा और झाबुआ जिले से महिलाएं और बच्चे कार्यक्रम में शामिल हुए. जिनके पास कहने सुनने को अपने अनुभव और सवाल थे.सभी महिलाओं ने अपनी-अपनी जिन्दगी से जुड़़े संघर्ष की कहानी सुनाई.
मधु चौधरी, अनामिका चक्रवर्ती, पिंकी तिवारी, पुष्पा अवस्थी, नूपुर शर्मा, दिव्या पंवार, शेफाली पांडे समेत अन्य कई महिलाओं ने सहज तरीके से अपनी जीवन की प्रेरणादायी कहानी सुनाई.
इन कहानियों को सुनकर कार्यक्रम में मौजूद लोग रोमांचित हो रहे थे. वही कई लोगों की आंखें प्रेरणा और हौसले के आंसुओं से नम हो गईं थी.
इन महिलाओं की कहानी सुन भावुक हुए लोग
मधु चौधरी- सिंगल मदर होन पर फक्र
मधु चौधरी ने माइक थामा और अपनी कहानी सुनाना शुरू की.’मुझे गर्व है अपनी खुद की कहानी पर, मैं सिंगल मदर हूं, सरकारी कर्मचारी हूं और एक आर्टिस्ट भी हूं.
अपने बेटे की आंखों में अपने लिए जब प्यार और फक्र देखती हूं तो लगता है कि मेरी कहानी मुकम्मल हो रही है. यह कहते हुए मधु चौधरी की आंखों में चमक आ गई.
विशाखा ने कहा रुकना नहीं है
विशाखा से जब पूछा गया कि उसे अपने जीवने में सुनी सबसे पहली कहानी याद है. तो उसने बिना देर किए कहना शुरू किया कछुआ और खरगोश की कहानी हमें कभी रुकना नहीं है. ‘लगे रहो कभी तो जीत मिलेगी’.
जिंदगी से जुड़े सवालों पर महिलाओं का बेबाक अंदाज
शेफाली चतुर्वेदी इस कार्यक्रम का संचालन कर रहीं थीं उन्होंने महिलाओं से उनकी जिंदगी से जुड़े सवाल किए. जिसपर महिलाओं ने बेबाकी से जवाब दिए.
पोषक आहार पर महिलाओं के जवाब
पिंकी ने पोषण आहार के सवाल पर कहा कि न्यूट्रिशन यानी पोषण आहार को लेकर ध्यान देना होगा. महिलाओं को जागरूक करने के लिए हम नाटक के माध्यम से गेम्स के माध्यम से अपनी बात रखते हैं.
वैशाली ने कहा कि घर घर में यही देखा जाता है कि अधिकतर महिलाएं परिवार में सभी को खाना खिलाने के बाद सिर्फ बचा हुआ ही खाना खाती है.
इससे उनके शरीर को पोषण आहार पर्याप्त मात्रा नहीं मिलता है। इससे कमजोरी आ जाती है. सभी महिलाओं को भी पौष्टिक भोजन पर्याप्त मात्रा में लेना चाहिए.
अब तक नहीं कही गई ऐसी कहानी
वैशाली ने कहा कि कहानियां और जिंदगी अलग नहीं हो सकती। एक जिंदगी में कई किरदार होते हैं, जिंदगी बदलने से कहानी बदलती है.पिंकी ने कहा कि मैं कहानी कहना ही नहीं चाहती हूं क्योंकि मैं कहानी जीना चाहती हूं.
कहानी बदलने के लिए जिंदगी बदलनी होगी
वरिष्ठ पत्रकार शेफाली पांडेय ने कहा कि कहानी और जिंदगी एक दूसरे से अलग नहीं हैं. कहानियां बदलनी है तो जिंदगी बदलनी होगी. हम सब कई किरदार जी रहे हैं. उन किरदारों की कहानियों को बदलना है तो जिंदगी में बदलाव जरूरी है.
वसुधा एनजीओ की गायत्री परिहार ने खुलकर अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा कि जब परिवार की पहली पढ़ी लिखी लड़की होना उनके परिवार की बाकी की लड़कियों के लिए पढ़ाई के रास्ता खोल गया.
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अब अकेले निकलने में नहीं लगता डर
आकाशवाणी की नूपुर और जूही ने भी अपने अनुभव साझा किए. और बताया कि पहले घर से बाहर निकलने में डर लगता था. अब अकेले कहीं भी जाना उन्हें परेशान नहीं करता क्योंकि अब उनके पास आत्मविश्वास है.
आने वाले समय में नहीं मनाना पड़ेगा महिला दिवस
यूनिसेफ के कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट अनिल गुलाटी ने कहा कि यह एक ऐसा मंच था जहां महिलाओं ने अपने जीवन के अनुभव साझा किए हैं.
वहीं अनामिका ने कहा कि आप सभी महिलाओं को रेडियो पर आना चाहिए और अपनी कहानी से दूसरी महिलाओं को हौसला देना चाहिए. ताकि आने वाले समय यानी 2030 तक महिला दिवस (world women’s day) मनाने की जरूरत ही न पड़े.