हाइलाइट्स
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9 अगस्त को मनाया जाता है विश्व आदिवासी दिवस
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आदिवासी समाज की खास परंपरा है ‘घोटुल’ घर
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अविवाहित लड़के-लड़कियों के लिए बनाया गया घोटुल
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घोटुल में जीवन-साथी चुनने जाते हैं युवक-युवती
World Tribal Day 2024: देशभर में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day 2024) मनाया जाता है। आदिवासी दो शब्दों ‘आदि’ और ‘वासी’ से मिल कर बना है जिसका अर्थ होता है जो लोग आदिकाल से इस देश में निवास कर रहे हैं।
भारत में आदिवासियों की कई प्रमुख जनजातियां, जैसे गोंड, मुण्डा,मीणा ,खड़िया, बोडो, कोल, भील,नायक, सहरिया, भूमिज, हो, उरांव, बिरहोर, पारधी, असुर, भिलाला, आदि हैं।
आदिवासी समाज (World Tribal Day 2024) ने हमें बहुत कुछ दिया है। इस समाज को लेकर आज भी ऐसा कहा जाता है कि यहां के लोगों की सोच पिछड़ी हुई हैं। लेकिन, इस कम्यूनिटि में कई ऐसी आधुनिक परंपराएं हैं, जो सदियों पहले ही शुरू कर दी गई थीं। आज के समय में लव मैरिज या फिर अपनी मर्जी से लाइफ पार्टनर चुनना कई जगहों पर अलाउड नहीं है।
हालांकि, आजकल ज्यादातर जगहों पर डेटिंग आम बात है। लेकिन, अगर हम आपसे कहें कि आज का ये प्रचलन सदियों पहले ही शुरू कर दिया गया था।
इस घर में शादी से पहले मिलते हैं युवक-युवती
आदिवासी (World Tribal Day 2024) के गोंड जनजाति में सदियों पहले एक ऐसी प्रथा शुरू हुई थी, जो आज के समय में भी कई जगहों पर बड़ी बात मानी जाती है। इस समाज में एक प्रथा शुरू की गई थी, जिसे लेकर एक घर बनाया गया था, जिसमें अनमैरिड लड़का और लड़की आया करते है। इस घर में वे अपना जीवन साथी भी चुनते है।
इन घरों में वे एक-दूसरे के साथ समय व्यतीत करते है और एक-दूसरे को जानते है। इन घरों को घोटुल कहा जाता है। भोपाल के ट्राइबल म्यूजियम में इस परंपरा को दर्शाने के लिए ये घर बनाया गया है।
इस राज्य में है ये परंपरा!
बंसल न्यूज ने घोटुल के बारे भोपाल के जनजातिय संग्रहालय के अध्यक्ष से बात की। उन्होंने बताया कि ये परंपरा कब शुरू हुई थी, ये कहना थोड़ा मुश्किल होगा। उन्होंने बताया कि घोटुल एक सांस्कृतिक परंपरा है। ये छत्तीसगढ़ की गोंड जनजाति (World Tribal Day 2024) और कुछ उपजातियों की परंपरा है, जहां पर घोटुल पहले बनते थे।
घोटुल, गांव का वो स्थान है जहां गांव के ही युवकों और बुजुर्गों के द्वारा एक ऐसा स्थल निर्मित किया जाता है, जिस गांव में अपना दिनभर का काम निपटाने के बाद युवक और युवती रात में मिलते है। यहां एक-दूसरे से समस्याओं के विमर्श होते हैं। इस दौरान खासतौर पर कई तरह की कलात्मक संरचनाएं निर्मित की जाती हैं।
आधुनिक समय में समाज युवक-युवतियों के निर्णयों पर भरोसा नहीं करता है। लेकिन, घोटुल, जनजातिय समुदाय (World Tribal Day 2024) की एक ऐसी व्यवस्था या यूं कहें कि परंपरा है, जहां युवक-युवतियों के निर्णयों को पंचायत भी स्वीकार करती है।
घोटुल में अपना जीवनसाथी चुनने के बाद युवक-युवतियां शादी कर लेते हैं। उसके बाद वे घोटुल के सदस्य नहीं होते हैं।
घोटुल में भाई-बहन भी जाते हैं साथ!
जनजातिय संग्रहालय के अध्यक्ष ने बताया कि ‘घोटुल’ में एक मर्यादित खुलापन होता है। यहां पर भाई-बहन भी साथ जाते हैं। यहां पर वे अपने-अपने पसंद से साथी चुनते हैं।
खासतौर पर बस्तर के नारायणपुर क्षेत्र (अब जिला) में घोटुल पहले हर बड़े गांव के साथ बना हुआ था।
कंघी से करते थे प्यार का इजहार
घोटुल एक गुरुकुल की तरह ही है। जहां पर युवक-युवतियों को शिक्षा से लेकर घर-गृहस्थी का पाठ पढ़ाया जाता है। घोटुल (World Tribal Day 2024) में कई सारे शिल्प और चित्र रचे जाते हैं। इन्ही के जरिए युवक-युवतिओं को अपना जीवनसाथी चुनने में मदद मिलती है। घोटुल में कंघी के जरिए भी जीवनसाथी का चुनाव किया जाता है।
बस्तर के नारायणपुर में एक विशेष तरह की कंघी आकल्पित की गई थी, जो लकड़ी से बनाई जाती थी। ये कंघी युवकों के धर्य को दर्शाती थी। युवक इस कंघी को बनाते थे। ये कंघी वे अपनी प्रेमिका को देते थे।
दरअसल, कंघी में खाली जगह होती है, जो धर्य को दर्शाती है। कंघी बनाने में धैर्य की आवश्यकता होती है। घोटुल में धैर्य विकसित करने के लिए कंघी को शिल्प के रूप में चुना गया था। घोटुल में कंघी बनाना योग्यता की तरह भी देखा जाता है। हालांकि, आज के समय ये परंपरा पर खत्म होती जा रही है।
किसने की इस परंपरा की स्थापना?
घोटुल की स्थापना गोंड जनजाति (World Tribal Day 2024) के पुजारी लिंगो ने की थी।
अब खत्म हो रही है परंपरा
समय के साथ घोटुल की परंपरा (World Tribal Day 2024) खत्म होती जा रही है। दरअसल, बाहरी दुनिया के प्रवेश के साथ ही घोटुल का असली चेहरा अब और भी बदतर होता जा रहा है। बाहरी लोग यहां आकर फोटोज और वीडियोज बनाने लगे हैं। यहां तक कि नक्सली गतिविधियों को अंजाम देने वाले माओवादियों को भी यह परंपरा पसंद नहीं है।
पान खिलाकर चुनते हैं जीवनसाथी
गोंड समाज की घोटुल परंपरा के अलावा आदिवासी समाज में ऐसा और भी कई परंपराएं हैं। जिनमें लोग अपना जीवनसाथी चुनते हैं। इसी तरह आदिवासी समुदाय (World Tribal Day 2024) का एक भगोरिया महोत्सव होता है, जिसमें हाट-बाजारों में युवक-युवती सज-धजकर भावी जीवनसाथी को ढूंढ़ने आते हैं।
इसमें लड़का लड़की को पान खाने के लिए देता है। यदि लड़की पान खा ले तो इसे समझा जाता है कि लड़की की तरफ से हां है। उसके बाद वो युवक, युवती को लेकर भगोरिया हाट से ही भाग जाता है और दोनों शादी कर लेते हैं।
ट्राइबल म्यूजियम में मिलेंगी कई जनजातियां!
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जनजातीय संग्रहालय (World Tribal Day 2024) बनाया गया है। इसमें प्रदेश की सात जनजातियों की संस्कृति को समेटा गया है। संग्रहालय में जनजातियों के रहन-सहन, रीति रिवाज, संस्कृतियों को संजोया गया है।
यहां पर प्रदेश की विभिन्न जनजातियों (World Tribal Day 2024) जैसे- गोंड, भील, कोरकू, बैगा, भारिया, सहरिया और कोल के बारे में बताया गया।